Monday, July 20, 2020

Metallurgical poem

Metallurgical Poem for Grey and Ductile Cast Iron.

Higher the Magnese.
Higher the Pearlite.
Higher the Copper.
Higher the Pearlite.

Higher the Chromium.
Higher the Carbide.
Higher the Chilling.
Higher the Carbide.
Sooner the knock out.
Later the Carbide.
Poor the inoculation.
Richer the Carbide.

Higher the carbon.
Higher the fluidity.
Higher the carbon.
Lower the strength.
Higher the carbon.
Lower the shrinkage.
Higher the carbon.
Higher graphite floatation.
Higher the carbon.
Higher the nucleii formation.


Higher the Silicon.
Higher the Ferrite.
Lower the Magnese.
Higher the Ferrite.

Higher the phosphorus.
Higher the Steadite.
Smaller the thickness.
Greater the Cementite.

Higher the Tin.
Higher the pearlite stability
Higher the Tin.
Poor the machinability.

Higher the sulphur.
Higher the dross.
Higher the sulphur.
Higher the brittleness.
Higher the sulphur.
Higher the crack propagation.
Higher the sulphur.
Higher the Mn/Mg consumption.

Lower the Magnesium.
Poor the microstructure.
Higher the Magnesium.
Higher the  MgS dross.
Higher the Magnesium.
Higher the carbides.
Higher the Magnesium.
Higher the Micro-Sinks.

Higher the pouring temperature.
Higher the shrinkage chance.
Lower the pouring temperature.
Higher the unfeeling/cold joints.

Better the Innoculation.
Better the Property.
Better the Mg-Treatment.
Better the Nodularity.

Sunil kumar sonu
NIFFT RANCHI
36TH ADFT
YEAR 2008-2010.

Sunday, May 31, 2020

ई कुर्सी केकरो बपौती नईखे

हुनर राज करिहै लठैती नईखे।
ई  कुर्सी केकरो बपौती नईखे।1//

सियासी जंग बिया तो सम्हर के,
ओकरे साथ देई ई गछौती नईखे।2//

इश्क बानी आ पुरजोर बानी मगर,
हुस्न से मांगनी कबो फिरौती नईखे।3//

तोहर दिल चुरा लेई हक बा हमर,
एकरा चोरी कहेला डकैती नईखे।4//

उ भौजी अक्सर गीली भात खावेली,
सुनले बिया उनके घर मे कठौती नईखे।5//

पलायन एक बहुते जटिल समस्या बाटे,
सांसद कहेला ई कौनो चुनौती नईखे।6//

सुनील कुमार सोनू
लखीसराय, बिहार
30।05।2020

सावन भादो है सखी

बेरी बेरी आवेला धियानवा
कब अइहें मोर सजनवा
नयनवा सावन भादो हे।
सावन भादो हे सखी
सावन भादो हे।
उनका बिना कटे नही दिनमा
कब अइहें मोर सजनमा
नयनवा सावन भादो हे।

गऊंआ जवार में बियाहवा जब होवे।
नेहिया के मातल पलंगिया टिटोवे।
याद आवेला टूटल चूड़ी कंगनवा
कब अइहें मोर सजनवा
नयनमा सावन भादो हे।
सावन भादो है सखी
सावन भादो हे।

सरसों फुलाइल,महक गइले जूही।
अचरा के कोर से,सरक गइले दुही।
नहीं थमे उमड़ल यौवनवा (जोवनवा)
कब अइहें मोर सजनवा
नयनवा सावन भादो हे।
सावन भादो है साखी
सावन भादो हे।

कोयल पपीहरा के बोलियो न भावे।
रूप सिंगार के अठखेलियों न सुहावे।
सुना सुना लगे अंगनवा
कब अइहें मोर सजनवा
नयनवा सावन भादो हे।
सावन भादो हे सखी
सावन भादो हे।

संग नही छोटी ननदी, नही  छोटका देवरवा
केकरा से बात कही, केकरा पे झाड़ी तेवरवा
नही बाटे एको गो ललनवा
कब अइहें मोर सजनवा
नयनवा सावन भादो हे।
सावन भादो है सखी
सावन भादो हे।
:सुनील कुमार सोनू
06।05।2020
समय:रात्रि 8:30-9:05PM

Saturday, May 30, 2020

कुर्सी किसी की बपौती नही

हुनर राज करेगा लठैती नही।
कुर्सी किसी की बपौती नही।1//

सियासी जंग है तो संभल जा,
उसका साथ दूँ ये गछौती नही।2//

इश्क किया है बेइंतहा किया है,
हुस्न से मांगी कभी फ़िरौती नही।3//

मैं तेरा दिल चुरा लूँ हक है मेरा,
इसे चोरी तो समझो डकैती नही।4//

वो अक्सर गीली भात खाता है,
सुना है उसके घर मे कठौती नही।5//

पलायन एक बहुत बड़ी समस्या है,
तुम कहते हो ये कोई चुनौती नही।6//
सुनील कुमार सोनू
28।05

Monday, May 11, 2020

ऐसा लगा कि मिल गयी मुझको रेखा है

घूँघट हटा के जब मैंने उसको देखा है।
ऐसा लगा कि मिल गयी मुझको रेखा है।
नयन कजरारे मिले ,हुस्न अंगारे मिले,
ऐसा लगा कि हूर परी की रूपरेखा है।

माथे की बिंदिया जैसे जगमग ध्रुवतारा हो।
जुल्फों की बदलियां जैसे रात आवारा हो।
चाँद भी उतर आया मेरे सनम के दर्शन को,
स्वर्ग की रश्मियां जैसे भूमि पे उतारा हो।
पूर्व जन्म का फल है या भोलेनाथ की कृपा,
जैसा मन में सोचा वैसा ही वो झरोखा है।
घूँघट हटा के जब मैंने उसको देखा है।
ऐसा लगा कि मिल गयी मुझको रेखा है।

दूधिया रंग बदन के और इनसे चांदनी छूटे।
कामिनी के आगोश में आके कई लावा फूटे।
तृप्ति ऐसा की फिर कुछ पाने की आस नही।
संतुष्टि ऐसा की इसके आगे कुछ झकास नही।
यौवन की मलिका सावन की सलीका है,
बसंत की रहनुमा कुदरत की वो लेखा है
घूँघट हटा के जब मैंने उसको देखा है।
ऐसा लगा कि मिल गयी मुझको रेखा है।
©सुनील कुमार सोनू
11।05।2020

Sunday, May 10, 2020

माँ तो माँ होती है

#माँ_तो_माँ_होती_है।
*****************
माँ    तो    माँ   होती  है।
तेरे जैसा कोई कहाँ होती है।
विष्णु भी तेरे कोख से जन्मे,
देवकी यशोदा जहाँ होती है।

सृष्टि का लालन पालन करने वाले,
तेरे गोद मे पलने को तरसे।
चाँद सुरुज की महिमा गाने वाले,
तेरी लोड़ी सुनने को तरसे।
वात्सल्य प्रेम के मोह न छूटे,
कौशल्या कैकयी जहाँ होती है।

नेह स्नेह की परिभाषा तुमसे,
सारी जगत की आशा तुमसे,
तुम हो तो ये सकल  संसार है।
तेरे बिना कल्पना भी बेकार है।
तेरे आँचल का दूध पीये बिना,
कहाँ कोई संतति जवां होती है।।

मृत्यु भी फुट फुट के  रोता है,
माँ को जब काल हर लेता है।
याद करके वो अपना बचपन,
माँ की श्रीचरण धर लेता है।
माँ ही जाने माँ के मर्म,
थाह किसे ये गहरी कुआँ होती है।
©सुनील कुमार सोनू"दिव्य"
#लखीसराय, #बिहार
10/05/2020
#सुनील_कुमार_सोनू

Tuesday, April 28, 2020

अब तो चींटी भी नमक खाने लगे

भूख इस तरह से खूब सताने लगे।
अब तो चीटी भी नमक खाने लगे।1//

कभी दूध घी में डूबा था पापी पेट,
अब तो छाछ पे भी आफत आने लगे।2//

वो घर जो विरासत में मिली मुझको,
सियासत अपना हुनर आजमाने लगे।3//

चिड़िया कब रुका है एक घोंसले में,
उसकी बेबफाई ने भरम फैलाने लगे।4//

 दूरियाँ ठीक नही जब दिल राजी हो,
 वो जिस्म में रूह तक समाने लगे।5//

कर्ज मोहब्बत का चुका न पाऊंगा,सोनू
उसकी यादें चक्रवृद्धि ब्याज लगाने लगे।6//
©सुनील कुमार सोनू
26।04।2020

वो दौर भी आएगा जब नाज करोगे तुम

वो दौर भी आएगा जब नाज़ करोगे तुम।
भीड़ में जोर से जब आवाज करोगे तुम।1//

फ़क़ीरी का मतलब, नही की बेशोहरत हूँ,
घर मे है बेशुमार दौलत,राज करोगे तुम।2//

अपनी शर्तों  पे मुहब्बत कर ऐ आशिक,
तभी इश्क़ में एक नया रिवाज बुनोगे तुम।3//

अँधेरा का काम है ,दबे पाँव चुपके से आना,
दीप जला के सबेरे का,आगाज करोगे तुम।4//

हुस्न को घमंड हो अगर,अपनी खूबसूरती पे,
दो दिनों के बाद भला किसपे गाज गिरोगे तुम।5//

दिल की दस्तक पे आई हो, सुस्वागतम है प्रिये,
 इतना बता दो कबतक मेरा लिहाज करोगे तुम।6//
"©सुनील कुमार सोनू,लखीसराय बिहार
26।04।2020

रे सुथरकी रे बन जो ने धनिया हमार

गीत:
मापनी:24/28
चेल्हा मछरिया नियन, चमको तोरो लिलार।24
अरे  सुथरकी रे,बन जो ने धनियां हमार।24
नथिया बेसर झुमका ,   सभे देबो उपहार,24
अरे  सुथरकी रे,बन जो ने धनियां हमार।24

आँखों में कजरिया शोभे,बालों में गजरिया रे।28
हांथो में महुदिया शोभे,पाँवो में पयलिया रे ।28
 फूलल सरसो  नियन ,देहिया भेलो बहार।24
अरे  सुथरकी रे,बन जो ने धनियां हमार।24

मलदहिया अमवा के रस में,जौन मिली माजा हो।28
स्नेहिया के कोरवा में ,उहे फल मिली ताज़ा हो।28
प्रेम में पागल नियन,अचरा खोजो तहार।24
अरे  सुथरकी रे,बन जो ने धनियां हमार।24
©सुनील कुमार सोनू
20।04।2020
रात्रि:2:40-3:30

ओकर अँखियाँ जे कमल लागेला


ओकर  आँखियाँ जे  कमल लागेला।
हम जे लिखनी उहे  ग़ज़ल लागेला।

भौरा चिपकले रही काल्हु रातें में,
जेहे से तितली जादे चंचल लागेला।

छू के देखनी हम अजु ओकरा के,
नरम मोलायम जैसे मलमल लागेला।

ओकर ओझरल केशिया संवारत रही,
खबर नइखे कब सोम मंगल भागेला।

वोही रे जगहिया पे भटक गईनी हम तो,
उनखर याद बहुते घना जंगल लागेला।

मस्त मीठी हवे मलदहिया आम नियन,
ओकरे प्रीतिया से हमर जिन्गी हलचल लागेला।
©सुनील कुमार सोनू
लखीसराय, बिहार

Monday, April 27, 2020

बिटिया बिना घरवा सुना लागै हो

सुना लागै मीता, सुना लागै हो।
बिटिया बिना घरवा सुना लागै हो।।
सुना लागै दादा, सुना लागै हो।
बहना बिना घरवा,सुना लागै हो।।

अब नही चिहुके अंगना चिडैंईयाँ।
अब नही किहुके सुगना लड़कईंयां।
ओकरे बोलिया सलोना लागै हो।।
बिटिया बिना घरवा सुना लागै हो।।

तनी तनी बात के ,खियाल उ रखेली।
कुल पर्व त्योहार के,संभाल उ करेली।
बटुआ बिना हम त ,बौना लागै हो।।
बिटिया बिना घरवा सुना लागै हो।।

नेहिया दुलार के,खिलौना सब छूटल।
पुरवैया बयार के ,पौना सब रुठल।
ओकरा होला से शादी गौना लागै हो।
बिटिया बिना घरवा सुना लागै हो।।
©सुनील कुमार सोनू
27।04।2020

कोरोना भेलो कसाय गे

अब की करियो माय गे
कोरोना भेलो कसाय गे।
देखे में छौ आयरस भायरस,
सबके देलो डराय गे।

चीनी प्रदेश से उड़ के अईलौ,
देश विदेश में तबाही मचैलौ,
देख के इटली अमेरिका की हालत,
देहिया गैलो थरथराय गे।
अब की करियो माय गे
कोरोना भेलो कसाय गे।
देखे में छौ आयरस भायरस,
सबके देलो डराय गे।

गउंआ समाज मे फैलो बेमारी,
बंद करैलको नइहर ससुरारी,
लोकडॉउन में सब फसल बिया,
डॉक्टर के बुद्धि गैलो ओराय गे।
अब की करियो माय गे
कोरोना भेलो कसाय गे।
देखे में छौ आयरस भायरस,
सबके देलो डराय गे।

मोदी जी के भाषण सुनिहा,
घर मे सब सावधान रहिहा,
सोसल डिस्टनसिंग के विधि से,
कोरोना के  देवै हराय गे।
अब की करियो माय गे
कोरोना भेलो कसाय गे।
देखे में छौ आयरस भायरस,
सबके देलो डराय गे।
©सुनील कुमार सोनू
12।04।2020

पीहू पीहू बोले रे पपीहरा

देहाती झूमर/कजरी/लोकगीत/

सावन के महिनवा रे सखिया।
मनवा मारे रे हिलोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।1//

रिमझिम बरसे पनिया रे सखिया।
पियवा खोजे चितचोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।2//

फरफर उड़े ओढ़निया रे सखिया।
जियरा धड़के जोरजोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।3//

बाबा के पोखरिया रे सखिया।
नहावे गइले भोरेभोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।4//

सरसों फुलल देहिया रे सखिया
महकल चारो ओर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।5//

एहि बरस लगनिया रे सखिया
हरदी लगो पोर पोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।6//
©सुनील कुमार सोनू
25/04/2020

Saturday, April 25, 2020

मित्र तुझे भी याद है ना!

शीर्षक:मित्र तुझे भी याद हैं ना!
दिनांक13/04/2020
विधा:नवगीत
मापनी:16/16

बचपन के दिन वो सुहाना ।16
नदी नाले में वो नहाना।16
नीम आम की डाली पे,16
लुका-छिपी का खेल रचाना।16

*******************
मित्र  तुझे भी याद  है ना।16।।
******************
अहरा के ऊंचे टीले पे,16
ओरहा बहुत  खाते थे।16
अड़ोसी पड़ोसी खेतों से,16
गन्ने भुट्टा बहुत चुराते थे।16
गांव से दूर चबूतरे पे ,16
सांझ को खूब गप्पे लड़ाना।16
***********************
मित्र तुझे भी याद हैं ना!
***********************
काँच की रंगीली गोलियां,16
माटी की शर्मीली चुकड़ियां,16
अंडी चुनना,बैर तोड़ना,16
डोभर मे उड़ाना तितलियां।16
गुल्ली डंडा लट्टू औ पतंग,16
खेल-खेल में मार मचाना।16
***********************
मित्र तुझे भी याद हैं ना!
**********************
पाठशाला के दिनों में तो,16
ढेरों  बहाने बनाते थे।16
 मृत दादी नानी दादा को,16
बहुधा  बार मार आते थे।16
ताड़ और घास के पत्ते से,16
आठ आने का पान खाना।16
***********************
मित्र तुझे भी याद हैं ना!16
************************
समय बीते ,बीते सब काल ,16
उम्र ने दागे कई सवाल।16
रोजी रोटी के चक्कर मे,16
जीवन निर्झर  हुई बेहाल ।16
यूँ कश्ती भी भूल गई है,16
कागज वाली आज ठिकाना।16
©सुनील कुमार सोनू

Friday, April 24, 2020

दिनकर वह सूरज है, जो कभी अस्त नही होता है

राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर की आज पुण्य तिथि पर एक कोशिश उनको काव्य रचित श्रद्धांजलि देने की।

दिनकर वह सूरज है,जो कभी अस्त नही होता है।
लाख घना अँधेरा हो,वो कभी पस्त नही होता है।
संघर्ष करता हुआ हर आदमी के संग है वो,
उसकी ओजस्वी कविता,कभी ध्वस्त नही होता है।

सिमरिया बेगूसराय बिहार का लाल है वो।
नवयुग परिवर्तन का जलता मशाल है वो।
ऊर्जा साहस  देश प्रेम का मिशाल है वो।
रश्मिरथी रचने वाले हृदय विशाल है वो।
उनकी अक्षय काव्यरचनाओं में ढूंढो तो,
जोश जुनून उम्मीद का अभावग्रस्त नही होता है।
दिनकर वह सूरज है,जो कभी अस्त नही होता है।

संसद मंत्री को चुनौती देते हमने देखा है।
बंजर दिल पे डक़ैती करते हमने देखा है।
सन्नाटा को चीरते वो आवाज सुनाई देता है।
शब्द शब्द में मुस्काते तस्वीर दिखाई देता है।
ग़रीबी बेरोजगारी लाचारी के खिलाफ बुलंद स्वर,
राजनीतिक प्रभाव से वो अस्तव्यस्त नही होता है।
दिनकर वह सूरज है,जो कभी अस्त नही होता है।

कुरुक्षेत्र रश्मिरथी में योद्धाओं के मान बढ़ाते है।
महाभारत की मनोरम गाथा किश्तों में समझाते है।
कर्ण अर्जून भीम दुर्योधन याकि द्रौपदी दुश्शासन,
भीष्म कृष्ण और गुरुजनों के संग न्याय कर जाते है।
अलौकिक कथा भगवान की लीला के वर्णन में,
वीर अभिमन्यु शकुनी मामा भी त्रस्त नही होता है।
दिनकर वह सूरज है,जो कभी अस्त नही होता है।

रेणुका, हुंकार, उर्वशी कितने है रचना इनकी।
धूप और धुँआ, परशुराम की प्रतीक्षा इनकी।
समर शेष है,सिंघासन खाली करो,कृति इनकी।
"कलम आज उनकी जय बोल"स्मृति इनकी।
"जीना हो तो मरने से नही डरो रे"पढ़के बोलो,
सैकड़ों कवि है जगत में,तुम-सा मस्त नही होता है।
दिनकर वह सूरज है,जो कभी अस्त नही होता है।
©सुनील कुमार सोनू"दिव्य"
24/04/2020

Thursday, April 23, 2020

साधु रे अब तो तलवार उठाओ

साधु रे अब तो तलवार उठाओ।
परशुराम को ललकार जगाओ।
अपना अस्मत आप बचाओ,
प्रशासन से मत गुहार लगाओ।

कौन सुनेगा पंडितों की वाणी।
दबे कुचले पीड़ितों की कहानी।
जनता जनार्दन का कटा अँगूठा,
मूक बधिर सी इनकी जुबानी।
त्यज जनेऊ माला पोथी पत्रा,
शंख फूको रन हुंकार लगाओ।
साधु रे अब तो तलवार उठाओ।

शास्त्र की शिक्षा बेकार गयी,
अब शस्त्र की दीक्षा भेंट कर।
लँगोटी कसो,चुटिया कटाओ,
 लड़ने को एड़ी चोटी एक कर।
अनुलोम विलोम की भाषा बदलो,
सिंहासन मुद्रा में दहाड़ लगाओ।
साधु रे अब तो तलवार उठाओ।

विनय विनीत को कायर समझे,
ठेठ ठठेरा मुच्छर बलशाली है।
जोगी गेरुआ को शायर समझे,
कहाँ इनमे रक्तरंजित भुजाली है।
अग्नि को पियो,वर्षा को सोखो,
गली गली में हाहाकार मचाओ।
साधु रे अब तो तलवार उठाओ।

शांति कब मिली समझौतों से,
 क्यों बात करने इन भूतों से,
राम बलराम कर चुके सन्धि,
परिणाम क्या हुआ शांतिदूतों से,
योगी क्रांति की मिसाल जले,
भगवा पगड़ी  फुफकार लगाओ।
साधु रे अब तो तलवार उठाओ।

राष्ट्र चेतना के सुर संगम में,
जब ब्रह्मांड ओमकार से गूंजेगा।
जड़ चेतन खग खगोल विहंगम से,
तब अखण्ड नमोकार में गूंजेगा।
हर हर महादेव,जय जय भवानी,
एक स्वर में जयकार लगाओ।
साधु रे अब तो तलवार उठाओ।
©सुनील कुमार सोनू
23।04।2020



Friday, April 17, 2020

हाय! रोटी सूंघ के जिंदा हूँ मैं।

हाय!रोटी सूंघ के जिंदा हूँ मैं ।
हाँ! यही सोच के शर्मिंदा हूँ मैं।

कुकुर खाये मांस मछरी,
बिल्ली पिये दूध मलाई।
तोता खाये हरियर मिरची,
घोड़ा खाये चना दलाई।
निर्लज क्रूर नियति के मारे,
भूखे पेट चुनिंदा हूँ मैं।

कोई आलीशान महल में सोवे।
कोई माई के फटल अचरा में  रोवे।
हड्डी देह में नही तनिको खून पानी,
कोई चिपक के दुधमुंहा चुचुक टटोवे।
देख ले देश जगत के रत्नों,
चलता फिरता मुर्दा हूँ मैं।

सोने की चिड़िया कह ले,
अरे सौ दंभ और तू भर ले।
मंदिर मस्जिद गिरजाघर में,
ढोंग पाखंड और तू कर ले।
मेरे मिट्टी छीन के फूल उगाए,
और कहे धूल गर्दा हूँ मैं।

हाय लगेगी हम गरीबों की,
कब तक कोशूं नसीबों की।
वोट बैंक की तुष्टिकरण में,
जीत न होती हम रक़ीबों की।
थूक दिया पान समझ के,
क्या कत्था सुपारी जर्दा हूँ मैं।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
©सुनील कुमार सोनू
17।04।2020

Thursday, April 16, 2020

समय से किसकी दोस्ती यारी है

Gajal of Mango Man(आम आदमी का ग़ज़ल)

समय से किसकी दोस्ती  यारी है।
आज इसकी तो कल उसकी बारी है।1//

जीवन मृत्यु दोनों एक चौखट पे,
युगों से आने-जाने की तैयारी है।2//

उसके अदालत में बेईमानी नही,
चाहे राजा हो या कि भिखारी है।3//

मानव दानव या  स्वयं माधव हो,
वक़्त के आगे हर शै हारी है।4//

कर्म धर्म ही विश्व प्रधान है,
निज हुनर ही पूजा पुजारी है।5//

परिवर्तन ही संसार का नियम,
यही सूचना जनहितकारी है।6//

शीश हमेशा कटा है घमंड का,
समय ही द्विधारी तलवारी है।7//

जो होता सब प्रभु की लीला,
काल ही तो कलमधारी है।8//

जिंदगी की मोल चूका दे सोनू,
बाकी चंद सांसे ही तो उधारी है।9//
©सुनील कुमार सोनू
16।04।2020

Wednesday, April 15, 2020

डर लगता है इंसान से

खौफ़ नही भगवान से।
डर लगता है इंसान से।1//

रिश्ते बेदाग़ नही मिलते,
सजग रहो मेहमान से।2//

स्वर्ग नरक के फेरे में,
धर्म बटे गीता कुरान से।3//

मजहबी क्यों आग उगले,
क्या यही सीखते संस्थान से।4//

लहू एक है, वतन एक है,
तो काहे परेशानी राष्टगान से।5//

बोलो,कहीं छत मिलेगा क्या,
गर कूच करोगे विमान से।6//

सहूर सीखो,जिंदा हो जा लाशों,
नही तो गुजरोगे शमशान से।7//

बे सिर पैर की बात न कर,
दे ना  दुहाई संविधान से।8//

अमन चैन से जो रहो तुम,
दूजा न मुल्क़ अच्छा हिंदुस्तान से।9//
©सुनील कुमार सोनू
13।04।2020

Saturday, April 4, 2020

मैं वृक्ष हूँ।

मैं वृक्ष हूँ,
तेरे पुरखों का धरोहर
सात पीढ़ियो का साक्ष्य
मुझे मार रहे हो।
या खुद को उजाड़ रहे हो।
मैं नही तो तू
कहाँ रह पायेगा।
आती जाती सांसे
कहाँ भर पायेगा।
मुझे थोड़ा सहेज ले
नही तो बेमौत मरेगा तू।
दाह संस्कार को न मिलेगी लकड़ी,
फिर कैसे जरेगा तू।
सुनील कुमार सोनू
04।04।2020jindagi,love,life

Wednesday, April 1, 2020

21वीं सदी है हुनर देखिए

न तज़ुर्बा न उमर देखिए।
21वी सदी है हुनर देखिए।

कैसा होगा ठाठ बाट उसका,
सुनसान ये खंडहर देखिए।

कितनी दिलकश होगी वो,
ये लहराती हुई चुनर देखिए।

कभी था लबालब पानी से भरा,
गांव का कुंआ नहर देखिए।

सांप बिच्छू से भी जहरीला है,
मुँह से उगलता  जहर देखिए।

ग़द्दारी नही करता है वो आजकल,
सीधे भोंकता सीने में खंजर देखिए।
hunar,love, tajurba
:सुनील कुमार सोनू
:01/04/2020

Friday, March 20, 2020

मां की दुआ का असर भी होगा

रात हुई है तो सहर भी होगा।
मां की दुआ का असर भी होगा।

ऋतुओं का क्या, बदलते रहना,
फिर से हरा भरा मंजर भी होगा।

पिटवा लोहे  सा हौंसला रख,
चट्टान ये कंकड़ पत्थर भी होगा।

जो कुल चराग़ों के बुझाएं है,
श्रापित घर उसका खंडहर भी होगा।

दोस्ती कर ये दोस्त ,ज़रा सम्भल के,
मुख में राम बगल में खंजर भी होगा।

सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहो 'सोनू'
राहों में जादू-टोना जंतर मंतर भी होगा।
:सुनील कुमार सोनू
:20|03|2020
:समय-7:50-8:20AM, बस में ऑफिस जाते वक्त 

ये नारी कौन है

रति रूप धरा पे
 ये नारी कौन है।
कामिनी स्वरूप धरा पे
ये नारी कौन है।

आईना बोल उठे
स्वर्ग सुन्दरी से
प्रेम मंजरी से
कहाँ तेरा घर है।
कौन तेरा वर है।

पिया को मन भाए
 तूने ऐसा श्रृंगार किया।
गहनें जेबर चूड़ी कंगन से
रूप तूने निखार लिया।

किसी हंस की हँसिनी हो।
या नव दुर्गा की वंशिनी हो।
तुम हो मात्र प्रतिबिम्ब,
या विष्णुप्रिया मोहिनी हो।

भूल बैठा खुद को,
उलझ गया मैं तुझमे।
नही पता है रूपसी,
 तू मुझमे या मैं तुझमें।
बुद्धि मेरी बौन है।
तू ही बता दे सखी,
ये नारी कौन है।

रति रूप धरा पे
 ये नारी कौन है।
कामिनी स्वरूप धरा पे
ये नारी कौन है।

:सुनील कुमार सोनू
:21।03।2020
:समय:7:35-8:16AM,
:स्थान: शालीमार पार्क,अलवर

Tuesday, March 17, 2020

बीस बरस बीत गये रे साथी

बीस बरस बीत गए रे साथी,
तूने खोज खबर नही ली।
 रंजिष क्यूँ निभाये रे साथी,
तूने खोज खबर नही ली।

दोनों एक दौड़ से गुजरे थे
शामिल जिसमे हरशु हरशु।
प्रेम प्रणय का उत्कृष्ट उदाहरण
ज़र्रे ज़र्रे  में भीनी ख़ुश्बू ख़ुश्बू।
राज दिल के ना बताये रे साथी,
तूने खोज ख़बर नही ली।

एहसास की कमाई दौलत,
बोलो कहाँ लुटाते हो।
क्या मुझसा ख़रीददार मिला,
या अफ़सोस जताते हो।
ऐसे कैसे कोई भूल जाए रे साथी,
तूने खोज ख़बर नही ली।

छत पे सुहानी धूप भी है
जामुन का वो पेड़ भी है।
खिड़कियों से ताकना एक दूजे को,
अभी वो बसेर भी है।
अब तू ना दिख पाए रे साथी,
तूने खोज ख़बर नही ली।

कितने उतार चढ़ाव देखे,
कितने मन मुटाव झेले।
लाखों की भीड़ में,
रहे हम अकेले-अकेले।
साथ न तूने निभाया रे साथी,
तूने खोज खबर नही ली।

यादों के मंज़र फरे
मन वृक्ष की डाली पे।
रातों के मंतर जपे
सूनापन की स्याह काली में।
और कहा ना जाए रे साथी,
तूने खोज ख़बर नही ली।

सूखे सूखे होली के दिन बीते
रूखे रूखे बीते दशहरा दीवाली।
बसंती मौसम  भी ऐसे बीते,
 जैसे बेसुध बेनूर पतझड़ मवाली।
भूतकाल बहुत सताये रे साथी,
तूने ख़ोज ख़बर नही ली।

ऐसा नही की जिंदगी तंग है।
ऐसा नही की हँसी बेरंग है।
ऐसा नही की धन दौलत ऐश्वर्य नही,
ऐसा नही की जीवन मे माधुर्य नही,
तुम बिन सब  निरुपाय रे साथी,
तूने खोज खबर नही ली।

बीस बरस बीत गए रे साथी,
तूने खोज खबर नही ली।
 रंजिष क्यूँ निभाये रे साथी,
तूने खोज खबर नही ली।
:सुनील कुमार सोनू
:17।03।2020
:बस में ऑफिस जाते वक्त
:समय-7:45-8:20AM

Sunday, March 15, 2020

इंचों की फासलें हैं, मिलों सी दूरी है

ये कैसी बेबसी है, ये कैसी मजबूरी है।
इन्चों की फासलें हैं, मिलों सी दूरी है।

शर्त क्यूँ है इतने इश्क़ में कहकहों की,
जबकि मोहब्बत अपनी शोख़ सिंदूरी है।

दो कदम साथ तू चल दे  संग संग,
भरम रिवाजों के टूटने भी जरूरी है।


नाज़ हो इश्क़ पे तो एलान कर अभी,
मैं तेरा कान्हा, तू मेरी राधिका छोरी है।

जिंदगी किसे मौका देता दुबारा तिबारा,
तेरी मेरी तो लाखों  मे एक जोड़ी है।

जमीन की मोहताज न रहा कर ,ए हुस्न
अंतरिक्ष को भी मात दे,तू वो चाँद चकोरी है।
:सुनील कुमार सोनू
:15/03/2020:दोपहर-13:00-13:50

मोहे अंग लगा ले सांवरिया

मेरो मन हो गयो बाबरिया।
मोहे अंग लगा ले सांवरिया।
अंग लगा ले सांवरिया...
मोहे अंग लगा ले सावरिया
मेरो मन हो गयो बाबरिया।
मोहे अंग लगा ले सांवरिया।

नाजुक नाजुक मेरी कलाई
मिश्री माखन मेरी मलाई
और पतरी पतरी मोरी कमरिया।
मोहे अंग लगा ले सावरिया।
मेरो मन हो गयो बाबरिया।
मोहे अंग लगा ले सांवरिया।
अंग लगा ले सांवरिया...
मोहे अंग लगा ले सावरिया।
मेरो मन हो गयो बाबरिया।
मोहे अंग लगा ले सांवरिया।

फ़ागन सो मेरो अल्हड़ जवानी।
अरे का वर्षा जब खेत सुखानी।
कुछ तो समझ मेरे बलम रसिया
मेरो मन हो गयो बाबरिया।
मोहे अंग लगा ले सांवरिया।
अंग लगा ले सांवरिया...
मोहे अंग लगा ले सावरिया
मेरो मन हो गयो बाबरिया।
मोहे अंग लगा ले सांवरिया।
:सुनील कुमार सोनू
समय:12:00-12:30,होली के दिन।
स्थान:अपना घर शालीमार पार्क,अलवर

मेरा इश्क़ ऐसे रूठा है।

मेरा इश्क़ ऐसे रूठा है।
जैसे आख़िरी सांस छूटा है।

बसंत की असर नही उसपे,
जैसे पेड़ आम का ठुठा है।

चकनाचूर है अरमान के सीसे,
उफ़्फ़ बड़ी ऊँचाई से टूटा है।

नही आया समझ अब तक,
मेरा हुस्न ख़रा  या खोटा है।

बिरह के ग़म  कितने बड़े बड़े
सहने को दिल बहुत छोटा है।

भोर क्यूँ  सोया है चादर ताने
रात डरावनी है घना सन्नाटा है।

दूर है इतना कोई किसलिए,
नफ़रत क्यूँ इतना मोटा है।

रचनाकार:सुनील कुमार सोनू
तिथि:07।03।2020
समय:10-10:30PM

। इन्चों की फासलें हैं, मिलों सी दूरी है।

ये कैसी बेबसी है, ये कैसी मजबूरी है।
इन्चों की फासलें हैं, मिलों सी दूरी है।

शर्त क्यूँ है इतने इश्क़ में कहकहों की,
जबकि मोहब्बत अपनी शोख़ सिंदूरी है।

दो कदम साथ तू चल दे  संग संग,
भरम रिवाजों के टूटने भी जरूरी है।


नाज़ हो इश्क़ पे तो एलान कर अभी,
मैं तेरा कान्हा, तू मेरी राधिका छोरी है।

जिंदगी किसे मौका देता दुबारा तिबारा,
तेरी मेरी तो लाखों  मे एक जोड़ी है।

जमीन की मोहताज न रहा कर ,ए हुस्न
अंतरिक्ष को भी मात दे,तू वो चाँद चकोरी है।

:सुनील कुमार सोनू
:15/03/2020:दोपहर-13:00-13:50

Sunday, March 8, 2020

।अँखियाँ भी रोये कुछ ऐसा दर्द दो।

अँखियाँ भी रोये कुछ ऐसा दर्द दो।
अँखियाँ भी रोये कुछ ऐसा दर्द दो।
दिल रोये तो रोये ये काफी नही,
अँखियाँ भी रोये कुछ ऐसा दर्द दो।

बारिष के मौसम में भी
दिल जेठ की दुपहरी सी तपे।
चैन नही इक पल भी
दिल बिछोह की आग में जले।
इसलिए ग़म-ए-जिंदगी,
अँखियाँ भी रोये कुछ ऐसा दर्द दो।
दिल रोये तो रोये ये काफी नही,
अँखियाँ भी रोये कुछ ऐसा दर्द दो।

अँखियाँ जो रोयेगा,सारा संताप धोएगा।
हुंक जो उठे दिल मे,वो नींद में सोयेगा।
फिर सारे संताप कम हो जाएगा।
फिर सारे अलाप काम हो जाएगा।
इसलिए ग़म-ए-जिंदगी,
अँखियाँ भी रोये कुछ ऐसा दर्द दो।
दिल रोये तो रोये ये काफी नही,
अँखियाँ भी रोये कुछ ऐसा दर्द दो।

रचनाकार:सुनील कुमार"सोनू"
लेखन तिथी:14।02।2016

। मेरे जिगर में बस...तेरा नाम लिखा है।

मेरे जिगर में बस...तेरा नाम लिखा है।
तू ही मेरी जिंदगी.. यही पैग़ाम लिखा है।

मेरी धड़कनों की जरूरत है तू
कसम से कहूँ बडी खूबसूरत है तू
तेरी घानी चुनर पे..ये ऐलान लिखा है।
तू ही मेरी जिंदगी.. यही पैग़ाम लिखा है।

मेरे जिगर में बस...तेरा नाम लिखा है।
तू ही मेरी जिंदगी.. यही पैग़ाम लिखा है।

मेरी वीराने महफ़िल की रंगत है तू
मेरी सुहाने सपने  की जन्नत है तू
तू पढ़ ले आँखों को,इसमे तमाम लिखा है।
तू ही मेरी जिंदगी.. यही पैग़ाम लिखा है।

मेरे जिगर में बस...तेरा नाम लिखा है।
तू ही मेरी जिंदगी.. यही पैग़ाम लिखा है।

जो तू कहे तो अभी जान गवा दूँ।
खाके जहर मैं अभी मरके दिखा दूँ।
दगा न करेंगे कभी..ये सरेआम लिखा है।
तू ही मेरी जिंदगी.. यही पैग़ाम लिखा है।

मेरे जिगर में बस...तेरा नाम लिखा है।
तू ही मेरी जिंदगी.. यही पैग़ाम लिखा है।

रचनाकार:सुनील कुमार 'सोनू'
तारीख:16/01/2020
समय:रात्री 10 बजे

एक दिन उड़ी जइहैं सुगना पिंजरवा छोड़ी के।

एक दिन उड़ी जइहैं सुगना
पिंजड़वा छोरी के।
पिंजड़वा छोरी के हो पिंजड़वा छोरी के।
एक दिन ........

धन दौलत और कोठा अटारी,
रिश्ते नाते और कुटुम्ब परिवारी,
छोड़ी जइहैं माया के बन्धनमा तोड़ी के।
एक दिन उड़ी जइहैं सुगना पिंजरवा छोड़ी के।

एक पल में देखो साँसे निकले,
दूजे पल में देखो लांशे निकले,
अगिया में जार दिहिं बदनमा मरोड़ी के।
एक दिन उड़ी जइहैं सुगना
पिंजड़वा छोरी के।
पिंजड़वा छोरी के हो पिंजड़वा छोरी के।
एक दिन ........

मुट्ठी बांध के आये हाथ पसारे चले गए,
अंतिम दर्शन को अँखियाँ तरसे राह निहारे चले गए,
चली गईले दुलरुआ जेकरा रखनी अगोरी के।
एक दिन उड़ी जइहैं सुगना
पिंजड़वा छोरी के।
पिंजड़वा छोरी के हो पिंजड़वा छोरी के।
एक दिन ........

हँसा उड़ी गईले अकासवा,
धागा नाही हमरे पसवा,
जाने कौन जनमवा मिलिहैं बदनमा गोरी के।
एक दिन उड़ी जइहैं सुगना
पिंजड़वा छोरी के।
पिंजड़वा छोरी के हो पिंजड़वा छोरी के।
एक दिन ........
गीतकार:सुनील कुमार सोनू
तिथि:08.09.19

।वक्त के लाठी में, यार शोर न होवे से।


वक्त के लाठी में, यार  शोर न होवे से।
जिसको पड़े वो खून के आँसू रोवे से।
अंधेरो ही अंधेरो लगे दिन दुपहरी भी,
मालिक एसो करो कि भोर न होवे से।

खौफ़ रख ख़ुदा का बंदे,
यू उल्टे-सीधे काम न कर।
कागज़ के टुकड़े कमाने में,
मानवता को बदनाम न कर।

इसी जन्म में सुन रे पगले
पाप पुण्य की गठरी धोवे से।

वक्त के लाठी में, यार  शोर न होवे से।
जिसको पड़े वो खून के आँसू रोवे से।
अंधेरो ही अंधेरो लगे दिन दुपहरी भी,
मालिक एसो करो कि भोर न होवे से।

जर जोरू जमीन के लफड़े से दूर रह।
बेफिजूल तरक-भरक कपड़े से दूर रह।
सरल सादगी जीवन जीकर पगले,
अपने सुकर्म से यश कृति  मशहूर कर।

बाजी पलटते  देर नही लगते,
वक़्त पे किसी का जोर न होवे से।

वक्त के लाठी में, यार  शोर न होवे से।
जिसको पड़े वो खून के आँसू रोवे से।
अंधेरो ही अंधेरो लगे दिन दुपहरी भी,
मालिक एसो करो कि भोर न होवे से।

:सुनील कुमार सोनू
:28।02।2020
:समय:7:30-8:05am,
बस में ऑफिस जाते समय।

हर हर महादेव

हर हर महादेव

मैं ही शून्य,मैं ही बिशाल ब्रह्मांड हूँ।
मैं ही औघड़,मैं ही विद्वान प्रकाण्ड हूँ।
मै ही चंद्र, मैं ही आकाशगंगा हूँ।
मैं ही धरती,मैं ही यमुना गंगा हूँ।
मैं  ही आदि,मैं ही अंत हूँ।
मैं ही सूक्ष्म, मैं ही अनंत हूँ।
मैं ही कैलाश,मैं ही हिमालय हूँ।
मैं ही देवेश, मैं ही देवालय हूँ।
मैं ही चल,मैं ही अचल हूँ।
मैं ही छल,मैं ही निश्छल हूँ।
मैं ही दृष्टि, मैं ही सृष्टि हूँ।
मैं ही अकाल,मैं ही वृष्टि हूँ।
मैं ही धूप ,मैं ही छांव हूँ।
मैं ही रूप,मैं ही उपनाम हूँ।
मैं ही नरोत्तम, मैं ही पुरुषोत्तम हूँ।
मैं ही उत्तम,मैं ही अतिउत्तम हूँ।
मैं ही सांस,मैं ही विस्वास हूँ।
मैं ही तो,जीने का उल्लास हूँ।
मैं ही रक्षक, मैं ही भक्षक हूँ।
मैं ही दक्ष, मैं ही दक्षक हूँ।
मैं ही नर,मैं ही नारी हूँ ।
मैं ही सुकुमार,मैं ही सुकुमारी हूँ।
मैं ही जननी, मैं ही जनक हूँ।
मैं ही धनकुबेर,मैं ही धनक हूँ।
मैं ही अन्न,मैं ही अन्नपुर्णा हूँ।
मैं ही स्वप्न, मैं ही सुवर्णा हूँ।
मैं ही नभमंडल,मैं ही पाताल हूँ।
मैं ही माया,मैं ही मायाजाल हूँ।
मैं ही अग्नि,मैं ही वर्षा हूँ।
मैं ही हर्षित, मैं ही हर्षा हूँ।
मैं ही गिरी,मैं ही गिरीश हूँ।
मैं ही ईश, मैं ही श्रीश हूँ।
मैं ही मैं,मैं भी मैं हूँ।
एक ही मैं,मैं तो मैं हूँ।
हर हर महादेव
:सुनील कुमार सोनू
:26/02/202
समय :07:25-8.05AM
स्थान:बस में ऑफिस जाते हुए।

मेरा इश्क़ ऐसे रूठा है।

मेरा इश्क़ ऐसे रूठा है।
जैसे आख़िरी सांस छूटा है।

बसंत की असर नही उसपे,
जैसे पेड़ आम का ठुठा है।

चकनाचूर है अरमान के सीसे,
उफ़्फ़ बड़ी ऊँचाई से टूटा है।

नही आया समझ अब तक,
मेरा हुस्न ख़रा  या खोटा है।

बिरह के ग़म  कितने बड़े बड़े
सहने को दिल बहुत छोटा है।

भोर क्यूँ  सोया है चादर ताने
रात डरावनी है घना सन्नाटा है।

दूर है इतना कोई किसलिए,
नफ़रत क्यूँ इतना मोटा है।

रचनाकार:सुनील कुमार सोनू
तिथि:07।03।2020
समय:10-10:30PM

Saturday, February 8, 2020

होली गीत

होली खेले मेरो अवध बिहारी,
संग सिया सुकुमारी हो,  मेरो अवध बिहारी।
होली खेले मेरो अवध बिहारी,
संग सिया सुकुमारी हो,  मेरो अवध बिहारी।

एक ओर खेले सियाजी की सहेली!
दूजा ओर खेले रामजी की टोली!
फिर खेले पारा-पारी हो,मेरो अवध बिहारी।
होली खेले मेरो अवध बिहारी,
संग सिया सुकुमारी हो,  मेरो अवध बिहारी।

लक्ष्मण देवरबा उधम मचावै
उधम मचावै हो, उधम मचावै
गोरे गोरे गाल पे रंग लगावै
रंग लगावै हो,रंग लगावै

सिया बाँह छुड़ावै लाज के मारी हो,मेरो अवध बिहारी।
होली खेले मेरो अवध बिहारी,
संग सिया सुकुमारी हो,  मेरो अवध बिहारी।

देखी छेड़खानी श्रीराम जी मुस्काये
श्रीराम जी मुस्काये हो,श्रीरामजी मुस्काये।
सिया लक्ष्मण को अंग लगाये
श्रीरामजी अंग लगाये हो ,श्रीरामजी अंग लगाये।

भरत शत्रुघ्न कहे अब मेरी बारी हो,मेरो अवध बिहारी।
होली खेले मेरो अवध बिहारी,
संग सिया सुकुमारी हो,  मेरो अवध बिहारी।
गीतकार:सुनील कुमार 'सोनू'
तारीख:12/01/2020

Saturday, February 1, 2020

कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।

इस्कूल के पिरितिया हउवे, ऐसे नै भुलाईहा।
कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।
बचपन के साथी हैं, संघे संघे खेले हैं।
प्यार कच्ची उमरिया के,ऐसे नै बिसरैहिया।
कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।
चोरी चोरी नैना मिलल,चोरी चोरी होंठ हो
अंगूरी के पहिला छुअन ,सीना में बसैहिया।
कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।
वो भी एक जमाना था,मिलने का सौ बहाना था।
फिर मिलूं किसी बहाने से तो,आँख नै चुराइहा।
कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।
तू तो किरिया खइला, जहिहा गले लगैईला।
दो फाक दिल के तू ,कबो नै करिहा।
कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।
इस्कूल के पिरितिया हउवे, ऐसे नै भुलाईहा।
कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।
गीतकार:सुनील कुमार सोनू
तारीख:24/11/19
समय:रात 22:00-23:40

तू ही मेरा चाँदी तू ही मेरा सोना

तू ही मेरा चाँदी तू ही मेरा सोना
तू ही तो अरे तू ही तो मेरा सपन सलोना।
ऐ धनी तू ही तो मेरा सपन सलोना।

तुम्ही  से मेरा पतझड़, तुम्ही से मेरा सावन
तुम्ही से तो,अरे तुम्ही से तो 
मेरा हँसना रोना।
तू ही तो मेरा सपन सलोना।
ए धनी तू ही तो मेरा सपन सलोना।
तुझी से दशहरा, तुझी से दिवाली,
तुझी से तो,अरे तुझी से तो
तीज त्योहार सब होना।
तू ही तो मेरा सपन सलोना।
ए धनी तू ही तो मेरा सपन सलोना।
तेरे लिए गजरा तेरे लिए कजरा
तेरे लिए अरे धनी तेरे लिए
सोलहो सिंगार सब बिछोना।
तू ही तो मेरा सपन सलोना।
ए धनी तू ही तो मेरा सपन सलोना।
गीतकार; सुनील कुमार सोनू
तारीख:24।11।19
समय:12:00-12:35 रात्री

सोलहवीं बसंत का ये पहला ख़ुमार था।

सोलहवीं बसंत का ये पहला ख़ुमार था।
होंठों पे शरारत और आँखों मे प्यार था।
दुपट्टा सीने पे ठहरता ही नही उफ़्फ़,
ना जाने कौन सा वो पछुआ ब्यार था।

अगन थी साँसों में जैसे कुम्भार की भथिनी हो,
जलन थी बाँहों में जैसे बर्फ की फ़िसलनी हो,
प्यास बुझी नही अधरों की जबकि चुम्बन भरमार था।
सोलहवीं बसंत का ये पहला ख़ुमार था।
होंठों पे शरारत और आँखों मे प्यार था।
दुपट्टा सीने पे ठहरता ही नही उफ़्फ़,
ना जाने कौन सा वो पछुआ ब्यार था।

ऐसी छुअन तो पहले न कभी हुआ था,
ऐसी सिहरन तो पहले न कभी हुआ था,
कामदेव की तीर जैसे कलेजे के आर-पार था।
सोलहवीं बसंत का ये पहला ख़ुमार था।
होंठों पे शरारत और आँखों मे प्यार था।
दुपट्टा सीने पे ठहरता ही नही उफ़्फ़,
ना जाने कौन सा वो पछुआ ब्यार था।

सायं सायं काँपते सर्दी की गज़ब आहट था,
शून्य की हाँफते ताप में भयंकर गरमाहट था,
खामोश रात में  कामिनी की अनकही हुंकार था।
सोलहवीं बसंत का ये पहला ख़ुमार था।
होंठों पे शरारत और आँखों मे प्यार था।
दुपट्टा सीने पे ठहरता ही नही उफ़्फ़,
ना जाने कौन सा वो पछुआ ब्यार था।

वो दौड़ गुजर गया, वो शोर गुजर गया,
जो लौट के न आया वो भोर गुजर गया,
वो लम्हा में इक जिंदगी जो गुजरा वो बेशुमार था।
सोलहवीं बसंत का ये पहला ख़ुमार था।
होंठों पे शरारत और आँखों मे प्यार था।
दुपट्टा सीने पे ठहरता ही नही उफ़्फ़,
ना जाने कौन सा वो पछुआ ब्यार था।
रचनाकार:सुनील कुमार'सोनू'
तिथि:01/02/2020
समय:रात्रि:09:45-10:15