Saturday, April 4, 2020

मैं वृक्ष हूँ।

मैं वृक्ष हूँ,
तेरे पुरखों का धरोहर
सात पीढ़ियो का साक्ष्य
मुझे मार रहे हो।
या खुद को उजाड़ रहे हो।
मैं नही तो तू
कहाँ रह पायेगा।
आती जाती सांसे
कहाँ भर पायेगा।
मुझे थोड़ा सहेज ले
नही तो बेमौत मरेगा तू।
दाह संस्कार को न मिलेगी लकड़ी,
फिर कैसे जरेगा तू।
सुनील कुमार सोनू
04।04।2020jindagi,love,life

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aapka bahut-bahut dhanybad