Monday, February 23, 2009

आंसूं ज�� बह रहें हें, इसे बह जाने ���ो .

आंसूं जो बह रहें हें, इसे बह जाने दो .
दिल की सदा कह रहें हें इसे कह जाने दो .
कहीं लगे न बोझ जिंदगी
दिल में हे दर्द बर्फ सी जमी
तनहाईओं   की चोट से
रूस्बाईओं की चोट से
दर्दे चट्टानें ढह रहे हे ,इसे ढह जाने दो.
ये आंसू के झरने प्रियतम के चमन को सींचता हे
यों दूर जानेवाले सनम को बांहों के समीप खींचता हे
आंसू में बरी तरप हे,आंसू में उसकी झलक हे
वो सितम कर रहे है ,मझे सह जाने दो
आंसू जो बह रहें हें उसे बह जाने दो
दिल की सदा कह रहें हें ,उसे कह जाने दो
sunil kumar sonu


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Tuesday, February 17, 2009

कारे कारे कजरा

geet-3
कारे-कारे कजरा
कारे-कारे कजरा
कारे तोहर केश.......
ऐ गोरी...........
काहाँ.तोहर देश.....
ऐ धानी........
.काहाँ.तोहर देश...
मथवा पे चम्-चम् चमके टिकुलिया
होठ्वा पे दम-दम दमके लिलरिया
.................. गोरे-गोरे तोहर फेश
ऐ गोरी....काहाँ.तोहर देश
ऐ धानी...काहाँ.तोहर देश
ताजमहल तेरे आगे फीका लगे
किसी देवी का तू टीका लगे
..........श्रृंगार तोहर विशेष
ऐ गोरी....काहाँ.तोहर देश
ऐ धानी...काहाँ.तोहर देश
चेहरे पे तेरी फूलों की ताजगी
दिल में भी बला की सादगी
मनवा में नाही क्लेश
ऐ गोरी....काहाँ.तोहर देश
ऐ धानी...काहाँ.तोहर देश
तेरे रंग-रूप में प्रीत की मिठास है
तेरे छाँव-धूप में गीत की प्यास है
अपने पराये... अपने पराये .....
न पहुचाये तू .... किसी को ठेस ..
ऐ गोरी....काहाँ.तोहर देश
ऐ धानी...काहाँ.तोहर देश
किसी प्रेमी का तू जोगिनी है क्या
या किसी लोक की तू मोहिनी है क्या
पल में काहे बदले तू भेष...
ऐ गोरी....काहाँ.तोहर देश
ऐ धानी...काहाँ.तोहर देश



जब तुम मुस्कुराती हो.

खिल उठता जीवन मधुवन
जब तुम मुस्कुराती हो !
झूम उठता धरती गगन
जब तुम प्रणय गीत गाती हो!
निहित तुझमे कोयल की मधुर आवाज
निहित तुझमे मोरनी की हसीं अंदाज
बाग-बाग हो जाता तन-मन
जब तुम पायल झनकाती हो !
खिल उठता जीवन मधुवन
जब तुम मुस्कुराती हो !
नील गगन के चाँद सितारे
सबको लगे बहुत प्यारे-प्यारे
पर उससे भी ज्यादा प्यारी लगती
जब तुम कजरारे पलकें उठती हो!
खिल उठता जीवन मधुवन
जब तुम मुस्कुराती हो !
माना सागर की लहरें
भरे जीवन में उमंग.
माना बसंती की पवन
भरे दिल में प्रेम अगन.
मगर तुम इतनी मतवाली
इतनी सुंदर इतनी निराली
की तुझे देखते ही
लौट आए मेरी खुशहाली.
हाय!जान निकल जाये
जब दिलकश अदा में शर्माती हो!
खिल उठता जीवन मधुवन
जब तुम मुस्कुराती हो !
sunil kumar sonu



A LOVE POEM

A LOVE POEM
your devotee for love
a bless! a remarkable!
how goodluck i have
my love is your preferable.
 
thousand of stars
above in the sky
but none is for me.
what a god grace
your smile your cry
just only for me.
 
i am in you
youare mine.
both correlated as
the sun and its shine.
 
how i can forget
your pleasant heart
how i can forget
your date of birth
how i can forget your sweet lips.
how i can forget your dreams in sleeps.
no! no! never......
I love you forever..............
 
whatever i am still now
by your shights.
trust me,my pleasure
never change my thoughts.
 
keep on loving
keep on missing
keep on soul-touch.
love you a lot
but don't ask howmuch.
 
in a nutshell
I'll say by heart.
you are my breath.
and be sure,well
none can forget
to take even a single breath
sunil kumar sonu


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Friday, February 13, 2009

कभी दूजे की नजर से ख़ुद को जान कर देखिये।

अपने ही नजर से अपने आपको क्या देखते है
कभी दूजे की नजर से ख़ुद को जान कर देखिये
अजी उम्र भर अपनी मनमानी भला क्या करते है,
खुदा के लिए कभी दूजे की बात मान कर देखिये

असंभव सत्य है या भ्रम जानना जरुरी है
कभी उफनते हुए यौवन में कुछ ठान कर देखिये

जो दिखती है वह सच्चाई नही दुनिया की
कभी हंस और बगूला को पहचान कर देखिये


मीन की तरह तालाब में तैरने से क्या लाभ
कभी मांझी सा गोता लगाने की ऐलान कर देखिये


कबतक सोये रहेंगे सूर्य के उगने की ताक में
कभी अपने अन्दर जलते हुए दीप पे गुमान कर देखिये
रचना की तिथि----१६/११/०८
समय---------- प्रभातकाल में

जमाना बड़ा ख़राब है

जमाना बड़ा ख़राब है
इसलिए तुम भी ख़राब बनो
किसी गाँव या शहर का
तुम भी शाही नबाब बनो

सीधा-सदा होने से क्या मिलेगा
बस तुझे जीने की सजा मिलेगा
ईमान धर्म को रख ताखे पे
नहीं तो लोगों से बददुआ मिलेगा
खुद को छिपा लो
भलाई इसी में साथी
वर्ना हस्ल वही होगा
दर्द झेलते जो सरकस के हाथी
छुरी कटारी बम बारूद
या तीक्ष्ण तेजाब बनो
जमाना बड़ा ख़राब है
इसलिए तुम भी ख़राब बनो

आंसू को पी नहीं
आंसू को बहाना सीख
हँसना है दिल खोल के तो
औरों को रुलाना सीख
जिंदगी कही बोझ न लगे
दुनिया की बोझ का तिरस्कार कर
सुबह की बेला को मार गोली
रात की ओस को नमस्कार कर
चेहरे पे लिए कई चेहरे
यार,तुम भी नकाब बनो
जमाना बड़ा ख़राब है
इसलिए तुम भी ख़राब बनो

आजकल जि��दगी अपन��� वीरान ��गती है

आजकल जिंदगी अपनी वीरान लगती है
कदम जिधर भी बढाऊं राहें सुनसान लगती है
 
कल तक था हर कोई मेरा जाना-पहचाना
हम थे उसके हमराही वो था मेरा दीवाना
जाने कौन सी खता हुई
जाने कौन सी हवा चली
आज हर शख्स वही अनजान लगती है
आजकल जिंदगी अपनी वीरान लगती है

किसने हमें मारा की हम इतने कमजोर हुए
चोरों की दुनिया में हम भी चोर हुए
दिल-दिमाग का कभी ऐसा भी मेल था
मुश्किलों को भगा देना ,बाये हाथ का खेल था
छोटी सी मुश्किल..छोटी सी मुश्किल
हाय! छोटी सी मुश्किल अब तूफान लगती है
आजकल जिंदगी अपनी वीरान लगती है
 
उम्र भर मोहब्बत में हम-तुम खोये रहे
जीभर के लम्हों की आगोशी में सोये रहे
बफा किसने की,दगा किसने की
छोरो भी ये बातें दुआ किसने दी
पास न आया कभी मोहब्बत
रास न आया कभी मोहब्बत
हाय!इश्क में तन-मन-जान जलती है
आजकल जिंदगी अपनी वीरान लगती है


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जीवन ...... ए�� संगीत

जीवन ...... एक संगीत
सुख-दुःख के दो गीत

इसे जंग भी कहते हें
इससे तो सभी लरते है
बक्त को मालूम सिर्फ़
कितने जीते कितने मरते है
इसमे कभी हार कभी जीत.
जीवन .... एक संगीत.
सुख-दुःख के दो गीत ..

क्या खोना है क्या पाना है
किससे पूछे कौन क्या जाना है
सफर जीवन के बरे निराले
शुन्य से चलके शुन्य तक जाना है
सच यही ...मेरे मनमीत
जीवन .... एक संगीत
सुख-दुःख के दो गीत

तेरे अन्तरमन में कभी अंधी कभी तूफान होगा
कभी जीना सरल कभी मरना आसान होगा
उलझ जाएगा तू अपने ही मकरजाल में
रह न मिलेगा जब ,अंतरद्वंद घमासान होगा
ऐसे में बुझे नही अंतस के दीप....
जीवन .... एक संगीत
सुख-दुःख के दो गीत

किस आंख से क्या उम्मीद करोगे
सबमे हजारों सपने है
तुम,क्या और क्यों जिद करोगे
सबमे पराये सबमे अपने है
सपनो का बण्डल ,सपने तक सिमित रख
सपने से लोग भयभीत
जीवन .... एक संगीत
सुख-दुःख के दो गीत


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Tuesday, February 10, 2009

ek ladka ladki ko pyar ka izhar karta hai........................tumare sir me jitne baal hai.tumhare sarir me jitne rom hai.tumhare aankhon me jitni nami ki bunde hai,tumhari aawaj me jitni mithas ki jhalak hai,usko infinity se guna kar do ,jitna aaya usme apni maximum soch-chahat jor do =mera pyar tere liye sirf tere liye

Friday, February 6, 2009

गुलाब से भी प्यारी तेरी चाहत का गुलाब.

यार,तेरी मोहब्बत का नही कोई जबाब.
गुलाब से भी प्यारी तेरी चाहत का गुलाब

बुलबुल सी थिरकन है तेरी गोरी-गोरी पाँव में
पीपल सी आनंद है तेरी घनी जुल्फों की छाँव में
देखके तेरी रूप-सौंदर्य को जग जाए लाखों ख्वाब.
गुलाब से भी प्यारी तेरी चाहत का गुलाब.
चंदन की दहक है तेरी लाली लाली होंठों पे
बिजली सी मलक है तेरी काली काली आंखों में
मन मस्त हो जाए छूके तेरे हुस्न शबाब.
गुलाब से भी प्यारी तेरी चाहत का गुलाब.


जिंदगी में हजारों दर्द है ,दवा नही kahin
कुछ अपने कुछ पराये मर्ज है ,दुआ नही कहीं
सौ रहते मिले एक गम के लिए.. समझे जनाब.
गुलाब से भी प्यारी तेरी चाहत का गुलाब.

तुम्हे झलक भर देंखना,पल भर सोचना
तेरी रूह में उतरना,तेरी वजूद में डूबना
चैनो-सुकून पहुचाये इतना जिसका नही कोई हिसाब.
गुलाब से भी प्यारी तेरी चाहत का गुलाब.

रचना की तिथि ---०७/०२/०९
सुबह ----करीब .30am

बस झलक भर तेरा दीदार चाहिए

बस झलक भर तेरा दीदार चाहिए.
इस प्रेम पुजारी को तेरा प्यार चाहिए.
अब ख़त से काम नही चलता
मुझे तेरी सांसों के दो तार चाहिए.
इस प्रेम पुजारी को तेरा प्यार चाहिए.

वक़्त रुकता नही तू लम्हों में खो जा
चुम्बन में घुली अमृतमय तेरा धार चाहिए.
इस प्रेम पुजारी को तेरा प्यार चाहिए.

गीत ग़जल से मन बहलता नही आजकल
धडकनों की नज्म दो-चार चाहिए.
इस प्रेम पुजारी को तेरा प्यार चाहिए.

बसंत की फूल कलियाँ रास नही आती
अब तो अदृश्य हुस्न की निखार चाहिए.
इस प्रेम पुजारी को तेरा प्यार चाहिए.

जितना चाहूँ तुझे उससे ज्यादा चाहना
प्रिये मोहब्बत की सावनी फुहाड़ चाहिए.
इस प्रेम पुजारी को तेरा प्यार चाहिए.