Sunday, March 29, 2009

बोतल बेचारा बदनाम है

हम दर्द को सांसों में पिरोते है तेरी हरेक खुशी के लिए. हम रोते है तन्हाई में तेरी बेहतर ज़िन्दगी के लिए.

हम दर्द को सांसों में पिरोते है तेरी हरेक खुशी के लिए. हम रोते है तन्हाई में तेरी बेहतर ज़िन्दगी के लिए.

हमने दो घूंट शराब पिए तो तुमने मुझे शराबी कह दिया मगर उनका क्या जनाबेआली जिनके होठ मधुशाला और आँखें छलकता जाम है. अरे यार नशा तो हुस्न में है बोतल बेचारा बदनाम है.

dil dosti love zone: शायरी

dil dosti love zone: शायरी

Wednesday, March 25, 2009

खुशियों के कमल ग़म के दरिया में खिलते है.



ये हम नही.............. बड़े-बड़े लोग कहते है.
खुशियों
के कमल ग़म के दरिया में खिलते है.
प्यार और हुस्न अधूरा माना गया
जबतक
जिस्म से जान नही मिलते है.
आदमी को असीमित सपनो ने मात किया
तूफान
आए तभी पत्ते जोर से हिलते है.
दिल तोडिये किसी दिलवर का जनाब
हमें पता है दरारे-जख्म कैसे सिलते है.
परवाह
कोई क्यों करे इस दुनिया की
रोज यहाँ कितने मरते कितने जिलते है.

कोई मुझे रुलाता क्यों नही।



हँसी-खुशी की लम्हा बेमानी लगे क्यों,कोई मुझे बताता क्यों नही
मै रोना चाहता हूँ ...........................कोई मुझे रुलाता क्यों नही
उब गया मैं मौज-मस्ती की चाल चलन से,
कब तक ढोता रहूँ इसे...............कोई दिल मेरा दुखाता क्यों नही
मै
रोना चाहता हूँ ...........................कोई मुझे रुलाता क्यों नही

रो
लू जी भर के तभी खुल के मुस्कुरा सकूँगा
सो
लू नींद भर तभी ख़ुद को जगा सकूँगा
छलका के मेरे आँखों में आंसू,.........कोई लुफ्त उठता क्यो नही
मै रोना चाहता हूँ ........................कोई मुझे रुलाता क्यों नही

दुनिया
जहाँ सुख की आराधना करता है
इसे पाने हेतू नाना प्रकार की साधना करता है
किंतु
मैं यहाँ बिल्कुल अलग,...... कोई मुझे समझाता क्यों नही
मै
रोना चाहता हूँ .........................कोई मुझे रुलाता क्यों नही

फूल
से किसे गिला हुआ,काँटों से किसे मोहब्बत
इक
मैं पागल अपवाद हुआ,जो करे रोने की हसरत
बस इतनी सी ख्वाहिश मेरी,कोई पुराता क्यों नही
मै
रोना चाहता हूँ ........कोई मुझे रुलाता क्यों नही

Friday, March 6, 2009

मेरी नज�� में भगवान वही ज��� है मेर�� जन्मदा���ा .

मै क्या जानू  मै क्या मानू दाता और विधाता
मेरी नजर में भगवान वही जो है मेरे जन्मदाता .
राम रहीम कृष्ण करीम से मेरा क्या रिश्ता क्या नाता
मेरी नजर में भगवान वही जो है मेरे जन्मदाता ......
मेरे जन्मदाता.... ..................  मेरे  पिता-माता .............
चरण छू लूँ तो.............. मन मेरे हुलास जाता ..........

मै तो सौ सौ बार नमन करूं  इनके चरणों को

मै देखू भी तो क्या देखूं सिवा इनके नयनों को
माँ की आंचल  में पिता की गोद में मै अतिसुख पाता..........
मेरी नजर में भगवान वही जो है मेरे जन्मदाता ......
मेरे जन्मदाता.... ..................  मेरे  पिता-माता .............
चरण छू लूँ तो.............. मन मेरे हुलास जाता

मै बेटा किस काम का यदि इनके आँखों को रुला दूँ

ये दौलत ये शोहरत किस काम का यदि इनके बातों को ठुकरा दूँ
इनकी डट-फटकार में भी मुझे आशीष बचन बुझाता.....
मेरी नजर में भगवान वाही जो है मेरे जन्मदाता ......
मेरे जन्मदाता.... ..................  मेरे  पिता-माता .............
चरण छू लूँ तो.............. मन मेरे हुलास जाता

हर खुशी कुर्बान कर दूँ,सिर्फ़ आपके नाम कर दूँ

कहें तो सुभह को शाम कर दूँ.अभी जिंदगी तमाम कर दूँ
हुक्म इनके सलाखों पे बस, मुझे सही-ग़लत नही लखाता........
मेरी नजर में भगवान वही जो है मेरे जन्मदाता ......
मेरे जन्मदाता.... ..................  मेरे  पिता-माता .............
चरण छू लूँ तो.............. मन मेरे हुलास जाता

गर्व से छाती चौरा हो जाए की इनके छत्रछाया  में पला-बढ़ा हूँ

हजारों स्वाभिमान जाग जाए की इनके दया से जगा  हुआ हूँ
माता-पिता के अथाह प्रेम से ख़ुद को बड़ा  धन्य पाता
मेरी नजर में भगवान वही जो है मेरे जन्मदाता ......
मेरे जन्मदाता.... ..................  मेरे  पिता-माता .............
चरण छू लूँ तो.............. मन मेरे हुलास जाता
 
      


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बसंत आ गया

फ़िर ऋतुराज बसंत गया.
अन्दर-बाहर चहुँ और आनंद छा गया.

पीली-पीली सरसों झूम रही है हवाओं के संग.
नीली-नीली चिडियाँ घूम रही है फिजाओं के संग.

फूल-कलियाँ भँवरे को देखो क्या उमंग क्या तरंग है.
मदहोशी है बेहोशी है चाहे जिस इशारे को देखो,
.......................आहा..पुलकित सारे अंग-अंग है.

हरे-भरे है बाग-बगीचे
मस्ती-मस्ती करे डाली-डाली.
मन में प्रेम रस घोले
जब गीत गए कोयल काली-काली.

धरती ने भी ओढ़ ली लाल चुनरिया
अंबर को रिझाने को.
और आसमान बेताब है
नीली आँखों से
धरती को बहकाने को.

हर जुबां, हर अधर कहे.
खुशियों के स्वामी
कामना है की
तू सालो-साल रहे.

holi me

रंग-बिरंगे गुलाल से
रंगे होंगे आपके गाल
rangin होली में।
अपनी माया की जाल से
बहका रहे होंगे सबके चाल
behtrin होली में
पकडो रे...दौडो रे
उस देवर को,इस ननद को
कर रहे होंगे सीना जोरी
hasin होली में
अजी छोडिये भी
हाय राम कहाँ कहाँ लगा दिए आप
गजब कर दिए देवर जी आप
आज जरा सी भी शर्म नही
आपकी बोली में..........
अरे रे...रे... ठहरिये तो
कहाँ भागे जा रहे है.
थोड़ा पीछे आईये तो
कहाँ आगे जा रहें है.
मुझे भी लुटने दीजिये मस्ती
basant और फागुन की
ह्रदय की झोली .....
फागुन है देवर जी
रंगों का त्यौहार.
आयी थोड़ा करीब लुटे
उमंगो की बहार
मिलके गुजरे कुछ पल
हँसी-ठिठोली में...
शर्मा गये अब क्यो देवर जी
आज साड़ी खता माफ़ है
बहको-बहको,चाहको-chahko
रंगीन होली me....

Thursday, March 5, 2009

मन कहे तुमको जीवन समर्पित कर दूँ.
मन कहे धडकनों को तीव्र कंपित कर दूँ.
जेठ की दुपहरी में कोई प्यासा रहे
तो ये बाहरी बात हुई
सावन की बदरी में कोई प्यासा रहे
तो ये अंदरूनी बात हुई
दोनों में है प्यास मगर
उसमे पीकर गर्मी शांत हो जाती है.
जबकि इसमे पीकर गर्मी आक्रांत हो जाती है.
मन कहे तेरे अधरों को छूकर मन उद्वेलित कर दूँ.
मन कहे तुमको जीवन समर्पित कर दूँ.
मन कहे धडकनों को तीव्र कंपित कर दूँ.

चांदनी रात में आकाश बाहें फैलता है.
दुल्हन सी सजी धरती पे अपनी निगाहें टिकाता है.
भड़क जाए इन दोनों में प्रेम ज्वाला
मन कहे कंठो से ऐसी स्वर कम्पित कर दूँ.
मन कहे तुमको जीवन समर्पित कर दूँ.
मन कहे धडकनों को तीव्र कंपित कर दूँ.

जरा मैं भी देखूं जन्नत के नज़ारे
प्रेम रस में नहाते दिल की दिलकश इशारे
जहाँ सांसे बन जाती है आंधियां...
जहाँ बसंत की एहसास दिलाती है सिसकियाँ..
मन कहे इसे देख-देख कर अंग-अंग पुलकित कर दूँ.
मन कहे तुमको जीवन समर्पित कर दूँ.
मन कहे धडकनों को तीव्र कंपित कर दूँ.


तुमसे मिलने को कई बार तरसे है.
आँखे सावन की तरह कई बार बरसें है.
तोड़ा है अरमानो को ज़माने ने कई बार
मगर अटल रहा अपना पुराना प्यार
टूट चुका हूँ पहले भी
किंतु आज खुशी-खुशी टूट जाने दो
मन कहे तेरे प्यार में अंग-अंग खंडित कर दूँ.
मन कहे तुमको जीवन समर्पित कर दूँ .
मन कहे धडकनों को तीव्र कंपित कर दूँ.

आज के बाद फ़िर बिछड़े कभी
दोनों के नैनों से फ़िर मोती झडे कभी
इसलिए मन कहे फासले को शून्य अंकित कर दूँ.
मन कहे तुमको जीवन समर्पित कर दूँ.
मन कहे धडकनों को तीव्र कंपित कर दूँ.

Wednesday, March 4, 2009

दर्द है ..तो जीने में मजा है .

यार,दुआओं के बदले दुआ दे रहा हूँ।
खुद से निकाल के तुझे खुदा दे रहा हूँ.
रख संभाल के अपने लिए मित्र,
चुरा के तुझे बफा दे रहा हूँ .


दर्द है ..तो जीने में मजा है .
ऐसे तो जीवन एक सजा है
फूल कब तक साथ दे पाते है .
धूप लगते ही मुरझा जाते है .
मगर कांटें है की,
हर पल मुस्कुरातें है .
कांटे ही तो खुशी की कथा है .
दर्द है ...तो जीने में मजा है .
तपने से ही तो,सोना निखरता है
मरने से ही तो, जीना होता है
सच कहूँ तो यारों.....
सुख ही जीवन की व्यथा है
दर्द है ....तो जीने में मजा है
दर्द में ही तो ,अम्बर बरसात करता है.
इसी बहने वो धरती से मुलाकात करता है.
दुःख में ही तो,लहरें छूती है गगन को.
दुःख में ही तो,रफ्तारें मिलती है कलम को.
सचमुच,दुःख-दर्द ही जिंदगी का फलसफा है.
दर्द है .....तो जीने में मजा है.
ऐसे तो जीवन एक सजा है.


Monday, March 2, 2009

दिल की कलम से

दिल तो दिल के पास है
परदेश गया तो क्या हुआ.
मिलन तो होता ही रहेगा
नजरे न मिले तो क्या हुआ.
*aaoge yadi tum
hamare doston ke katar me.
bacha lenge tere kasti ko
jab fansoge beech majdhar me.
vada karten he to nibhate bhi
yakin na aaye to ji lo do pal hamare pyar me*

#doston ki mahfil ke saan he ham.
doston ki mahfil ke saan he ham
jo log hamen nahi janten unki jaan he ham#


जहाँ प्यार मिलता है.
वहां जिंदगी मुस्कुराता है.
जहाँ जिंदगी हँसता है.
वहां दोस्ती झूमता-गाता है.

bhul se bhi yaad kar liya karo.
dost tere ham bhi ye jaan liya karo.
yon dur dur rahte hai to kya hua
kabhi sapno me bhi mulakaat kiya kro