लाख टके की बात कहूँ मै
साथी इसे भूल जाना नही
आदमी चाहे कितना ही शरीफ क्यों न हो
उसे पलकों पे बिठाना नही
साथी इसे भूल जाना नही
आदमी चाहे कितना ही शरीफ क्यों न हो
उसे पलकों पे बिठाना नही
दूध का धुला कोई इन्सान
यहाँ का होता नही
इन्सान को इन्सान रहने दो
उसे भगवान् बनाना नही
ऐसा न हो इन्सान के
अन्दर सैतान जाग जाए
बफा भी हदतक मितवा
किसी से निभाना नही
कौन है इस जग में
जिसका ह्रदय जला न हो
छिपाने में ही बुद्धिमानी है
जख्म किसी को तू दिखाना नही
कई शख्श के खून पसीने बहे
तब जाकर कही ये घर बना
घर या बेघर वाले सुनो
कभी किसी का घर तू जलना नही
खुशी और गम की
अपनी निश्चित घड़ी है
अपना असर दिखायेगी ही
तू मगर कर्म से जी चुराना नही
रौशनी है बिखरे पड़े
तेरे चारो तरफ़ तो क्या
हर किसी का अपना मूल्य है
दीप कोई तू बुझाना नही
sunil kumar sonu
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भावपूर्ण लेखन के लिए शुभ कामनाएं /ऐसे ही निरंतर लिखते रहिये
ReplyDeleteआपका डॉ.भूपेन्द्र रेवा
हिंदी ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है।
ReplyDeleteएक निवेदन: कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें तो टिप्पणी देने में सहूलियत होगी.
very good nahi very best narayan narayan
ReplyDeletebahut achhi rachnaa hai....dhanyavaad
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteaap sabhi ko ko hamari taraf se holi ki subhkaamnaayen.THANKS $ VISITING MY BLOG
ReplyDeleteब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है।
ReplyDeleteसुंदर रचना के लिए शुभकामनाएं।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
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