खुशियों के कमल ग़म के दरिया में खिलते है.
ये हम नही.............. बड़े-बड़े लोग कहते है.
खुशियों के कमल ग़म के दरिया में खिलते है.प्यार और हुस्न अधूरा माना गया
जबतक जिस्म से जान नही मिलते है.आदमी को असीमित सपनो ने मात किया
तूफान आए तभी पत्ते जोर से हिलते है.
दिल न तोडिये किसी दिलवर का जनाबहमें पता है दरारे-जख्म कैसे सिलते है.
परवाह कोई क्यों करे इस दुनिया कीरोज यहाँ कितने मरते कितने जिलते है.
सुन्दर मनोभाव!
ReplyDelete---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
thanks 2 all
ReplyDeletepyar jise hua use to amar hona hi hai,kyonki mahbub ki yande marne ki izazat nahi deti.
ReplyDelete