Wednesday, March 25, 2009

खुशियों के कमल ग़म के दरिया में खिलते है.



ये हम नही.............. बड़े-बड़े लोग कहते है.
खुशियों
के कमल ग़म के दरिया में खिलते है.
प्यार और हुस्न अधूरा माना गया
जबतक
जिस्म से जान नही मिलते है.
आदमी को असीमित सपनो ने मात किया
तूफान
आए तभी पत्ते जोर से हिलते है.
दिल तोडिये किसी दिलवर का जनाब
हमें पता है दरारे-जख्म कैसे सिलते है.
परवाह
कोई क्यों करे इस दुनिया की
रोज यहाँ कितने मरते कितने जिलते है.

3 comments:

aapka bahut-bahut dhanybad