दिल में छल कपट चेहरे पे ताजगी तो है
इश्क न सही मेरे वास्ते नाराजगी तो है
जिंदगी बेरंग बेनूर बदहबास है तो क्या
सपनों के फूल में गुलाब सी ताजगी तो है
आँखों को यकीं हो गया वो न मिलेंगें
दिल में किंतु अब भी जिन्दा बेखुदी तो है
अपनों से यार जी लगता नही आजकल
शुक्र है इस शहर में कुछ अजनबी तो है
sabko चांदनी मिले 'सोनू'ऐसा नसीब कहाँ
अपने आंगन में टिमटिमाते तारे की रौशनी तो है