Friday, October 9, 2009

अपनों से यार जी लगता नही आजकल

दिल में छल कपट चेहरे पे ताजगी तो है

इश्क न सही मेरे वास्ते नाराजगी तो है

जिंदगी बेरंग बेनूर बदहबास है तो क्या

सपनों के फूल में गुलाब सी ताजगी तो है

आँखों को यकीं हो गया वो न मिलेंगें

दिल में किंतु अब भी जिन्दा बेखुदी तो है

अपनों से यार जी लगता नही आजकल

शुक्र है इस शहर में कुछ अजनबी तो है

sabko चांदनी मिले 'सोनू'ऐसा नसीब कहाँ

अपने आंगन में टिमटिमाते तारे की रौशनी तो है

1 comment:

  1. asara bhai khuda ka milna chahiye aur logon ki duaon ka.kosish karte raho kamyabi zarur milegi kyoni fikr acchi hai.

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aapka bahut-bahut dhanybad