Tuesday, December 1, 2009

KNOW AIDS FOR NO AIDS

मैं एड्स हूँ
एक खतरनाक बीमारी
इसलिए कहता हूँ
रखो एड्स की सही जानकारी।

एड्स ऐसे फैलता है :--
असुरक्षित यौन संबंध बनने से
संक्रमित सुई लगाने से
hiv+ माँ द्वारा नवजात शिशु को स्तनपान कराने से
संक्रमित खून के आदान-प्रदान से


लेकिन एड्स ऐसे नही फैलता है:--
हाथ या गले मिलाने से
चुम्मा या प्यार जताने से
संग रहने से या खाने-पीने से
तिलचट्टा या मच्छर काटने से
एड्स का लक्षण है :--

** लंबे समय तक बुखार रहना
** चेहरे पे बरे-बरे फोरे-फुन्सी हो जाना
**राग प्रतिरोधक क्षमता घट जाना
**लगातार वजन घटते रहना
**आत्मविश्वाश डगमगा जाना
एड्स से बचने के उपाय :--

#नशा से दूर रहें
हमेशा कंडोम का उपयाग करें.
#जोश में आके होश न गवाएँ
#जीवन साथी के संग बफा निभाएं
#
homosex, heterosex,groupsex,oralsex&analsex से मीलों दूर रहें.
# जहाँ तक सम्भव हो विद्यार्थी ब्रह्मचर्य-धर्म का पालन करें.
जो एड्स के रोगी हैं :--

उन्हें उचित मान-सम्मान दे
उन्मे जीने की ललक पैदा करें
उनसे ये कहो की ---
" जबतक है साँस जिंदगी की

तबतक हँसते-गाते रहो !

शेष बहुत है लम्हें कारवां के,

बस जीने की ललक जागते रहो ! "

उन्हें रस-गंध-स्पर्श का फ़िर से एहसास कराओ!
उन्हें प्यार देकर कहो की जिंदगी अभी भी
बहुत खुबसूरत है किसी नई-नवेली दुल्हन की तरह!

"अपने हाथों में लेके तेरे हाथ चलेंगे!
तू दिल अपना छोटा न कर
हम हर पल तेरे साथ चलेंगे! "





Tuesday, November 3, 2009

JINDAGI TERI TALASH HAR KISI NE KI

jindagi teri talash har kisi ne ki

dhundh lun rahasya jivan ke
khoj lun piyush antarman ki
ye utkat abhilash har kisi ne ki
jindagi teri talash har kisi ne ki.


tu anbujh paheli hai ye koi abhi tak jaan na paya
kahan tera bimb aur kahan teri pratichhaya
tere hone na hone ki ehsas har kisi ne ki
jindagi teri talash har kisi ne ki.


tu path nahi, tu manjil nahi
tu dimag nahi, tu dil nahi
tu kasti nahi, tu sahil nahi
tu durlabh nahi, tu hasil nahi
tu kya?... tu hi jane..
duniyan tujhe dard-dua maane
tu hari mirchi, tu taza shahad
teri anmol sukh-dukh ki mithas har kisi ne li
jindagi teri talash har kisi ne ki.


tu bhram paida kare
tu saty ujagar kare
tu sagar ko bund kahe
tu bund ko sagar kare
tumrig-trishna si
aankhon me jadu kare
tu hansini jaisi
pani dudh aagu kare
na samjha tujhe koi
tu hai to bhi roye
tu na rahe to bhi nain roi
tujhe dhundhne ki aas me
khud apna vinash har kisi ne ki.
jindagi teri talash har kisi ne ki.


main to kahun kya jarurat hai
tujhe dhundhne ki, tumse ulajhne ki.
tu kachche sut ki uljhi guthi
main to bhul na karun tujhe samajhne ki.
ye raaz... raaz hi rahe to behtar hoga.
varna insaan jina hi chhod dega.
"bhram ki jindagi achchhi bhali"
meri ye kori soch pe, e jindagi
dekh! uphaas har kisi ne ki.
jindagi teri talash har kisi ne ki.


Friday, October 9, 2009

अपनों से यार जी लगता नही आजकल

दिल में छल कपट चेहरे पे ताजगी तो है

इश्क न सही मेरे वास्ते नाराजगी तो है

जिंदगी बेरंग बेनूर बदहबास है तो क्या

सपनों के फूल में गुलाब सी ताजगी तो है

आँखों को यकीं हो गया वो न मिलेंगें

दिल में किंतु अब भी जिन्दा बेखुदी तो है

अपनों से यार जी लगता नही आजकल

शुक्र है इस शहर में कुछ अजनबी तो है

sabko चांदनी मिले 'सोनू'ऐसा नसीब कहाँ

अपने आंगन में टिमटिमाते तारे की रौशनी तो है

Wednesday, October 7, 2009

सफ़ेद पोशाकें हैं पहने हुए मगर सादगी नही

आदमियों के भीर में कोई आदमी

तो है कोयल सी मीठी मगर दिलों में जरा सी बंदगी नहीगौर से देखिये जरा उनकी आंखों को हत्यारे हैं किंतु दिल में कोई बेचैनी नही वो हँस रहे हैं ठहाके लगा के जबकि मुंह कला किएन अपराधबोध, मन में शर्मिंदगी भी नही ये जो नौजवान है क्या सचमुच में जवान हें शिथिल है नारियां खून में भी गर्मी नहीमुश्किल है अब बहू-बेटियों का घर से निकलना तुम्ही बताओ 'सोनू' किस-किस के नजर में गन्दगी नही

Wednesday, July 22, 2009

तेरे नाम


जब दिल से दिल मिले तो

बदन से बदन का मिलना क्या.

hai अभी रंगीन जवान सपने

अब फूलों का बागों में खिलना क्या.

Monday, July 13, 2009

और वो जगी नही जिसके लिए जगे रात भर

किसी की याद में हम जगे रात भर
और वो जगी नही जिसके लिए जगे रात भर
दिल की बेचैनी भला कहते किससे
चैन
से वो सोयी रही रात भर
यादों को यूँ जाने देता कैसे हम
इसलिए गीत लिखते रहे रात भर
मेरी नींद चुरा के वो चैन कैसे पाई
चोरों को क्या चैन मिलता है रात भर
कसक जो जागी तन्हा रातों में
आराम
तभी मिले जब होंगी बातें रात भर
तेरे कितने रूप देखें बताना मुश्किल है
आंखों
में हजारों मंजर दिखा रात भर
तड़प
किसी की कोई समझेगा क्या
जानेगा
वही जो तडपे कभी रात भर
किसी की याद में हम जगे रात भर
और वो जगी नही जिसके लिए जगे रात भर

Tuesday, July 7, 2009

तेरी याद में


जिंदगी से हम बिल्कुल नाराज हो गये है
बेहद तनहा अकेला हम आज हो गये है
दिल तोडा है किसी ने इस कदर की,
हमारी खामोशी ही हमारे आवाज हो गये है.

Sunday, May 3, 2009


एक छोटी सी बात रख रहा हूँ=======
===============================
आकाश खुला है लिए तेरे लिए
जमीं क़दमों
तले है तेरे लिए
चाहो तो हाथ उठा के आसमान छू लो
चाहो तो धरती की दूरियां माप लो

तुम आजाद हो मनचाहा करने को
बस जो भी करना

अपने और दूजे के हित में करना

की वक़्त और किस्मत तुझे पुकार रही है
इतिहास तुझे ललकार रही है

तेरे ही दम से ये दुनिया है

की तेरे लिए ही दुनिया है.

की अब तुम जाग जाओ

की अब तुम जाग जाओ.
बहुत-बहुत शुभ-आशीष प्यार स्नेह और
एक कप जोश-उम्मीद का तुम्हे मेरी तरफ़ से

Thursday, April 30, 2009

प्यार का रंग अभी तक चोखा है


बदल गया सबकुछ मगर प्यार का रंग अभी तक चोखा है सुख जाए भले ही नदियाँ-सागर आंखों पे हमें पूरा भरोसा है .

Wednesday, April 15, 2009

dil dosti love zone: खून बहती थी मिलके जब पसीने में.

dil dosti love zone: खून बहती थी मिलके जब पसीने में.

इश्क-विश्क


चुरा के दिल किसी का
क्यों
अपने पास रखते हो.
शीशे
की तरह टूट जानेवाले
क्यों
एहसास रखते हो.
अजी बुल-बुला सी होती है
इश्क-विश्क की बातें,
क्यों कोरी बातों पे विश्वास रखते हो.
वो जिसे चाहा छन भर में उसे भुला दिया
एक हमही थे जो उसे भुलाने में,एक युग लगा दिया

Sunday, April 12, 2009

औरत क्या चीज है.



औरत ख़ुद नही जानती औरत क्या चीज है,
वो तो हिरन की तरह मुर्ख है,
जो
कस्तूरी की महक में पागल होके
वन
-वन भटकती है.
जबकि
उसे
नही मालूम
कस्तूरी
उसी का है
वो भी उसके अन्दर.
और
जो
पहचान लेती है अपने छिपे इस कस्तूरी को
वो औरत मर्द बन जाती है
तब नाम-काम-धाम
सबकुछ हासिल कर लेती है.
जिसे पाने की हसरत
हर किसी को है
चाहे हो स्त्री हो या पुरूष.

खून बहती थी मिलके जब पसीने में.


दर्द के दिन भी क्या बीते मजा आए न जीने में.
सुख के अमृत भी जैसे जहर लगे पिने में.
जिंदगी का मर्म समझता था तब मैं पल-पल
खून बहती थी मिलके जब पसीने में.
वो भी क्या दौर था किस्मत को चुनौती दिया करते थे
जोश-जज्बा रग-रग बनके दौरती थी सिने में.
न हाथ-पाँव दुखते थे ,न दिल -दिमाग थकता था
झूमते-गाते रहते थे साल के पूरे महीने में.


इश्क में कोई दम नही


.प्यार जिसे हुआ उसे तो अमर होना ही है,
क्योंकि महबूब की यांदे मरने की इजाज़त नही देती

इश्क की दुनिया बड़ी अजीब है.
कोई इसमे राजा तो कोई गरीब है.
फसलों का क्या मतलब नगरों से,
दिल ने कहा दूर तो दूर है वरना
दिलबर तो शून्य के करीब है.

Friday, April 10, 2009

महब्बत अब सिर्फ़ मजाक भर है.


रिश्ते-नाते और उसूल खाक भर है.
मोहब्बत अब सिर्फ़ मजाक भर है.
अरे,सबकी निगाहें गोल-गोल पे
संवेदना महज बकबास भर है.
धज्जियाँ उड़ने लगी हरेक शै की
असल में अच्छाई बात भर है.
तरस आए इश्क में चूर लोगों पे
मजा इसमे डाल-पात भर है.
समझाए
कोई नादान जवानी को
इश्क बस विरह-विलाप भर है
लुटने -
-लूटाने का दौड़ है अभी
सत्य
-ईमान-धर्म नकाब भर है.
वक़्त
अभी है जान ले दुनिया को,ये
नई
बोतल में पुरानी शराब भर है.
रचना की तिथि---०९/०४/०९
बेला
---- सुबह
की

महब्बत अब सिर्फ़ मजाक भर है.

रिश्ते-नाते और उसूल खाक भर है.
महब्बत अब सिर्फ़ मजाक भर है.
अरे,सबकी निगाहें गोल-गोल पे
संवेदना महज बकबास भर है.
धज्जियाँ भर लगी हरेक शै की
विलाप भर अच्छाई विलाप बात भर है.
तरस आए इश्क में चूर लोगों पे
मजा इसमे डाल-पात भर है.
समझाए
कोई नादान जवानी
इश्क बस विरह-विलाप भर है
lutane
-लुटाने दौड़
सत्य-अभी-धर्म नकाब भर है.
वक़्त
अभी है जान ले दुनिया को,ये
नई
बोतल में पुरानी शराब भर है.
रचना की तिथि---०९/०४/०९
बेला
---- सुबह की

Sunday, April 5, 2009

तुम झूठ-मूठ के शराब पीते हो ।


नशा तो होती है दिलकश जवानी में
नैनों की झील में ' होठों की दो बूंद पानी में
क्यों
चेहरे पे लिए नकाब जीते हो
तुम झूठ-मूठ के शराब पीते हो