औरत क्या चीज है.
औरत ख़ुद नही जानती औरत क्या चीज है, वो तो हिरन की तरह मुर्ख है,
जो कस्तूरी की महक में पागल होके
वन-वन भटकती है.
जबकि उसे नही मालूम
कस्तूरी उसी का है वो भी उसके अन्दर. और
जो पहचान लेती है अपने छिपे इस कस्तूरी को
वो औरत मर्द बन जाती है।
तब नाम-काम-धाम सबकुछ हासिल कर लेती है. जिसे पाने की हसरत हर किसी को है चाहे हो स्त्री हो या पुरूष.
HOW SWEET U
ReplyDeleteHOW LOVELY U
IN FACT,I WANT TO SAY U
THAT I LOVE U
bahut sundar
ReplyDeletedear friend if any one is in need of blood in india just click this www.bharathbloodbank.com u will get all details of blood donors with contact numbers.
ReplyDeleteआपकी शानदार शायरी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने और उसके साथ फोटो भी बिल्कुल सही लगाया आपने! इसी तरह से लिखते रहिए !
मेरा मानना है के स्त्री पृकृति की सबसे पूर्ण कृति है,पुरुष उसके सामने स्वय़ं को बौना पाता है,अधूरा महसूस करता है,
ReplyDeleteइसीलिये वह कभी एट्म बम,कभी चंद्र्यान ,कभी किले,महल तो कभी नये-नये धर्म ईजाद करता दिखता है,
जबकि स्त्री शिशु को जन्म देकर, उसका पालन-पोषण कर जीवन की पूर्णता, पाकर संतुष्ट् हो जाती है इसीलिए उसे कभी कोई धर्म ईजाद करने
की जरूरत महसूस नहीं हुई।
श्याम सखा ‘श्याम
हिन्द युग्म पर मेरी गज़ल पर टिपण्णी हेतु आभार
औरत के बहुआयामी जीवन एवम् व्यक्तित्व पर केन्द्रित ३८ शे‘र की एक गज़ल-पढने हेतु
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सस्नेह