Wednesday, February 17, 2021

Kiraye ka boy friend chahiye

 किराये का बॉयफ्रेंड  चाहिए।

ओनली वन नाईट स्टैंड चाहिए।।

माचोमैन वाला ब्रैंड चाहिए।

सिर्फ़ वन नाईट स्टैंड चाहिए।।


मेहनत की फ़ीस हम देंगें।

डॉलर में  बक्शीस हम देंगें।

लौंडा कड़क एन्ड ट्रेंड चाहिए।।

किराये का बॉयफ्रेंड  चाहिए।

सिर्फ़ वन नाईट स्टैंड चाहिए।।


यूज़ एंड थ्रो से न क्लेश हो।

मोशन इमोशन में विशेष हो।

डर्टी डर्टी क्रेज़ी  फ़्रेंड चाहिए।

किराये का बॉयफ्रेंड  चाहिए।

सिर्फ़ वन नाईट स्टैंड चाहिए।।


नाईट में ट्वेंटी ट्वेंटी पारी खेले।

बाईड नो बॉल पे जान हमारी लेले।

 टु मच मौज मस्ती ग्रैंड चाहिए।

किराये का बॉयफ्रेंड  चाहिए।

सिर्फ़ वन नाईट स्टैंड चाहिए।।

सुनील कुमार सोनू

07।02।2021

8882749435

Monday, July 20, 2020

Metallurgical poem

Metallurgical Poem for Grey and Ductile Cast Iron.

Higher the Magnese.
Higher the Pearlite.
Higher the Copper.
Higher the Pearlite.

Higher the Chromium.
Higher the Carbide.
Higher the Chilling.
Higher the Carbide.
Sooner the knock out.
Later the Carbide.
Poor the inoculation.
Richer the Carbide.

Higher the carbon.
Higher the fluidity.
Higher the carbon.
Lower the strength.
Higher the carbon.
Lower the shrinkage.
Higher the carbon.
Higher graphite floatation.
Higher the carbon.
Higher the nucleii formation.


Higher the Silicon.
Higher the Ferrite.
Lower the Magnese.
Higher the Ferrite.

Higher the phosphorus.
Higher the Steadite.
Smaller the thickness.
Greater the Cementite.

Higher the Tin.
Higher the pearlite stability
Higher the Tin.
Poor the machinability.

Higher the sulphur.
Higher the dross.
Higher the sulphur.
Higher the brittleness.
Higher the sulphur.
Higher the crack propagation.
Higher the sulphur.
Higher the Mn/Mg consumption.

Lower the Magnesium.
Poor the microstructure.
Higher the Magnesium.
Higher the  MgS dross.
Higher the Magnesium.
Higher the carbides.
Higher the Magnesium.
Higher the Micro-Sinks.

Higher the pouring temperature.
Higher the shrinkage chance.
Lower the pouring temperature.
Higher the unfeeling/cold joints.

Better the Innoculation.
Better the Property.
Better the Mg-Treatment.
Better the Nodularity.

Sunil kumar sonu
NIFFT RANCHI
36TH ADFT
YEAR 2008-2010.

Sunday, May 31, 2020

ई कुर्सी केकरो बपौती नईखे

हुनर राज करिहै लठैती नईखे।
ई  कुर्सी केकरो बपौती नईखे।1//

सियासी जंग बिया तो सम्हर के,
ओकरे साथ देई ई गछौती नईखे।2//

इश्क बानी आ पुरजोर बानी मगर,
हुस्न से मांगनी कबो फिरौती नईखे।3//

तोहर दिल चुरा लेई हक बा हमर,
एकरा चोरी कहेला डकैती नईखे।4//

उ भौजी अक्सर गीली भात खावेली,
सुनले बिया उनके घर मे कठौती नईखे।5//

पलायन एक बहुते जटिल समस्या बाटे,
सांसद कहेला ई कौनो चुनौती नईखे।6//

सुनील कुमार सोनू
लखीसराय, बिहार
30।05।2020

सावन भादो है सखी

बेरी बेरी आवेला धियानवा
कब अइहें मोर सजनवा
नयनवा सावन भादो हे।
सावन भादो हे सखी
सावन भादो हे।
उनका बिना कटे नही दिनमा
कब अइहें मोर सजनमा
नयनवा सावन भादो हे।

गऊंआ जवार में बियाहवा जब होवे।
नेहिया के मातल पलंगिया टिटोवे।
याद आवेला टूटल चूड़ी कंगनवा
कब अइहें मोर सजनवा
नयनमा सावन भादो हे।
सावन भादो है सखी
सावन भादो हे।

सरसों फुलाइल,महक गइले जूही।
अचरा के कोर से,सरक गइले दुही।
नहीं थमे उमड़ल यौवनवा (जोवनवा)
कब अइहें मोर सजनवा
नयनवा सावन भादो हे।
सावन भादो है साखी
सावन भादो हे।

कोयल पपीहरा के बोलियो न भावे।
रूप सिंगार के अठखेलियों न सुहावे।
सुना सुना लगे अंगनवा
कब अइहें मोर सजनवा
नयनवा सावन भादो हे।
सावन भादो हे सखी
सावन भादो हे।

संग नही छोटी ननदी, नही  छोटका देवरवा
केकरा से बात कही, केकरा पे झाड़ी तेवरवा
नही बाटे एको गो ललनवा
कब अइहें मोर सजनवा
नयनवा सावन भादो हे।
सावन भादो है सखी
सावन भादो हे।
:सुनील कुमार सोनू
06।05।2020
समय:रात्रि 8:30-9:05PM

Saturday, May 30, 2020

कुर्सी किसी की बपौती नही

हुनर राज करेगा लठैती नही।
कुर्सी किसी की बपौती नही।1//

सियासी जंग है तो संभल जा,
उसका साथ दूँ ये गछौती नही।2//

इश्क किया है बेइंतहा किया है,
हुस्न से मांगी कभी फ़िरौती नही।3//

मैं तेरा दिल चुरा लूँ हक है मेरा,
इसे चोरी तो समझो डकैती नही।4//

वो अक्सर गीली भात खाता है,
सुना है उसके घर मे कठौती नही।5//

पलायन एक बहुत बड़ी समस्या है,
तुम कहते हो ये कोई चुनौती नही।6//
सुनील कुमार सोनू
28।05

Monday, May 11, 2020

ऐसा लगा कि मिल गयी मुझको रेखा है

घूँघट हटा के जब मैंने उसको देखा है।
ऐसा लगा कि मिल गयी मुझको रेखा है।
नयन कजरारे मिले ,हुस्न अंगारे मिले,
ऐसा लगा कि हूर परी की रूपरेखा है।

माथे की बिंदिया जैसे जगमग ध्रुवतारा हो।
जुल्फों की बदलियां जैसे रात आवारा हो।
चाँद भी उतर आया मेरे सनम के दर्शन को,
स्वर्ग की रश्मियां जैसे भूमि पे उतारा हो।
पूर्व जन्म का फल है या भोलेनाथ की कृपा,
जैसा मन में सोचा वैसा ही वो झरोखा है।
घूँघट हटा के जब मैंने उसको देखा है।
ऐसा लगा कि मिल गयी मुझको रेखा है।

दूधिया रंग बदन के और इनसे चांदनी छूटे।
कामिनी के आगोश में आके कई लावा फूटे।
तृप्ति ऐसा की फिर कुछ पाने की आस नही।
संतुष्टि ऐसा की इसके आगे कुछ झकास नही।
यौवन की मलिका सावन की सलीका है,
बसंत की रहनुमा कुदरत की वो लेखा है
घूँघट हटा के जब मैंने उसको देखा है।
ऐसा लगा कि मिल गयी मुझको रेखा है।
©सुनील कुमार सोनू
11।05।2020