Saturday, February 8, 2020

होली गीत

होली खेले मेरो अवध बिहारी,
संग सिया सुकुमारी हो,  मेरो अवध बिहारी।
होली खेले मेरो अवध बिहारी,
संग सिया सुकुमारी हो,  मेरो अवध बिहारी।

एक ओर खेले सियाजी की सहेली!
दूजा ओर खेले रामजी की टोली!
फिर खेले पारा-पारी हो,मेरो अवध बिहारी।
होली खेले मेरो अवध बिहारी,
संग सिया सुकुमारी हो,  मेरो अवध बिहारी।

लक्ष्मण देवरबा उधम मचावै
उधम मचावै हो, उधम मचावै
गोरे गोरे गाल पे रंग लगावै
रंग लगावै हो,रंग लगावै

सिया बाँह छुड़ावै लाज के मारी हो,मेरो अवध बिहारी।
होली खेले मेरो अवध बिहारी,
संग सिया सुकुमारी हो,  मेरो अवध बिहारी।

देखी छेड़खानी श्रीराम जी मुस्काये
श्रीराम जी मुस्काये हो,श्रीरामजी मुस्काये।
सिया लक्ष्मण को अंग लगाये
श्रीरामजी अंग लगाये हो ,श्रीरामजी अंग लगाये।

भरत शत्रुघ्न कहे अब मेरी बारी हो,मेरो अवध बिहारी।
होली खेले मेरो अवध बिहारी,
संग सिया सुकुमारी हो,  मेरो अवध बिहारी।
गीतकार:सुनील कुमार 'सोनू'
तारीख:12/01/2020

Saturday, February 1, 2020

कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।

इस्कूल के पिरितिया हउवे, ऐसे नै भुलाईहा।
कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।
बचपन के साथी हैं, संघे संघे खेले हैं।
प्यार कच्ची उमरिया के,ऐसे नै बिसरैहिया।
कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।
चोरी चोरी नैना मिलल,चोरी चोरी होंठ हो
अंगूरी के पहिला छुअन ,सीना में बसैहिया।
कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।
वो भी एक जमाना था,मिलने का सौ बहाना था।
फिर मिलूं किसी बहाने से तो,आँख नै चुराइहा।
कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।
तू तो किरिया खइला, जहिहा गले लगैईला।
दो फाक दिल के तू ,कबो नै करिहा।
कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।
इस्कूल के पिरितिया हउवे, ऐसे नै भुलाईहा।
कबो याद करिहा जान,कबो याद अइहा।
गीतकार:सुनील कुमार सोनू
तारीख:24/11/19
समय:रात 22:00-23:40

तू ही मेरा चाँदी तू ही मेरा सोना

तू ही मेरा चाँदी तू ही मेरा सोना
तू ही तो अरे तू ही तो मेरा सपन सलोना।
ऐ धनी तू ही तो मेरा सपन सलोना।

तुम्ही  से मेरा पतझड़, तुम्ही से मेरा सावन
तुम्ही से तो,अरे तुम्ही से तो 
मेरा हँसना रोना।
तू ही तो मेरा सपन सलोना।
ए धनी तू ही तो मेरा सपन सलोना।
तुझी से दशहरा, तुझी से दिवाली,
तुझी से तो,अरे तुझी से तो
तीज त्योहार सब होना।
तू ही तो मेरा सपन सलोना।
ए धनी तू ही तो मेरा सपन सलोना।
तेरे लिए गजरा तेरे लिए कजरा
तेरे लिए अरे धनी तेरे लिए
सोलहो सिंगार सब बिछोना।
तू ही तो मेरा सपन सलोना।
ए धनी तू ही तो मेरा सपन सलोना।
गीतकार; सुनील कुमार सोनू
तारीख:24।11।19
समय:12:00-12:35 रात्री

सोलहवीं बसंत का ये पहला ख़ुमार था।

सोलहवीं बसंत का ये पहला ख़ुमार था।
होंठों पे शरारत और आँखों मे प्यार था।
दुपट्टा सीने पे ठहरता ही नही उफ़्फ़,
ना जाने कौन सा वो पछुआ ब्यार था।

अगन थी साँसों में जैसे कुम्भार की भथिनी हो,
जलन थी बाँहों में जैसे बर्फ की फ़िसलनी हो,
प्यास बुझी नही अधरों की जबकि चुम्बन भरमार था।
सोलहवीं बसंत का ये पहला ख़ुमार था।
होंठों पे शरारत और आँखों मे प्यार था।
दुपट्टा सीने पे ठहरता ही नही उफ़्फ़,
ना जाने कौन सा वो पछुआ ब्यार था।

ऐसी छुअन तो पहले न कभी हुआ था,
ऐसी सिहरन तो पहले न कभी हुआ था,
कामदेव की तीर जैसे कलेजे के आर-पार था।
सोलहवीं बसंत का ये पहला ख़ुमार था।
होंठों पे शरारत और आँखों मे प्यार था।
दुपट्टा सीने पे ठहरता ही नही उफ़्फ़,
ना जाने कौन सा वो पछुआ ब्यार था।

सायं सायं काँपते सर्दी की गज़ब आहट था,
शून्य की हाँफते ताप में भयंकर गरमाहट था,
खामोश रात में  कामिनी की अनकही हुंकार था।
सोलहवीं बसंत का ये पहला ख़ुमार था।
होंठों पे शरारत और आँखों मे प्यार था।
दुपट्टा सीने पे ठहरता ही नही उफ़्फ़,
ना जाने कौन सा वो पछुआ ब्यार था।

वो दौड़ गुजर गया, वो शोर गुजर गया,
जो लौट के न आया वो भोर गुजर गया,
वो लम्हा में इक जिंदगी जो गुजरा वो बेशुमार था।
सोलहवीं बसंत का ये पहला ख़ुमार था।
होंठों पे शरारत और आँखों मे प्यार था।
दुपट्टा सीने पे ठहरता ही नही उफ़्फ़,
ना जाने कौन सा वो पछुआ ब्यार था।
रचनाकार:सुनील कुमार'सोनू'
तिथि:01/02/2020
समय:रात्रि:09:45-10:15