महब्बत अब सिर्फ़ मजाक भर है.
रिश्ते-नाते और उसूल खाक भर है.
मोहब्बत अब सिर्फ़ मजाक भर है.
अरे,सबकी निगाहें गोल-गोल पे
संवेदना महज बकबास भर है.
धज्जियाँ उड़ने लगी हरेक शै की
असल में अच्छाई बात भर है.
तरस आए इश्क में चूर लोगों पे
मजा इसमे डाल-पात भर है.
समझाए कोई नादान जवानी को
इश्क बस विरह-विलाप भर है
लुटने --लूटाने का दौड़ है अभी
सत्य-ईमान-धर्म नकाब भर है.
वक़्त अभी है जान ले दुनिया को,ये
नई बोतल में पुरानी शराब भर है.
रचना की तिथि---०९/०४/०९
बेला---- सुबह की
पहले तो मै आपका शुक्रियादा करना चाहती हू कि आपको मेरी शायरी पसन्द आयी! आप का ब्लोग मुझे बहुत अच्छा लगा और आपने बहुत ही सुन्दर लिखा है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.........
ReplyDelete’चलती राहों पे अपना प्यार लुटाने वालो
इश्क की ओट में ईमान छला जाता है.’