Wednesday, October 7, 2009

सफ़ेद पोशाकें हैं पहने हुए मगर सादगी नही

आदमियों के भीर में कोई आदमी

तो है कोयल सी मीठी मगर दिलों में जरा सी बंदगी नहीगौर से देखिये जरा उनकी आंखों को हत्यारे हैं किंतु दिल में कोई बेचैनी नही वो हँस रहे हैं ठहाके लगा के जबकि मुंह कला किएन अपराधबोध, मन में शर्मिंदगी भी नही ये जो नौजवान है क्या सचमुच में जवान हें शिथिल है नारियां खून में भी गर्मी नहीमुश्किल है अब बहू-बेटियों का घर से निकलना तुम्ही बताओ 'सोनू' किस-किस के नजर में गन्दगी नही

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aapka bahut-bahut dhanybad