Wednesday, March 25, 2009
कोई मुझे रुलाता क्यों नही।
हँसी-खुशी की लम्हा बेमानी लगे क्यों,कोई मुझे बताता क्यों नही।
मै रोना चाहता हूँ ...........................कोई मुझे रुलाता क्यों नही।
उब गया मैं मौज-मस्ती की चाल चलन से,
कब तक ढोता रहूँ इसे...............कोई दिल मेरा दुखाता क्यों नही।
मै रोना चाहता हूँ ...........................कोई मुझे रुलाता क्यों नही।
रो लू जी भर के तभी खुल के मुस्कुरा सकूँगा
सो लू नींद भर तभी ख़ुद को जगा सकूँगा
छलका के मेरे आँखों में आंसू,.........कोई लुफ्त उठता क्यो नही।
मै रोना चाहता हूँ ........................कोई मुझे रुलाता क्यों नही।
दुनिया जहाँ सुख की आराधना करता है
इसे पाने हेतू नाना प्रकार की साधना करता है
किंतु मैं यहाँ बिल्कुल अलग,...... कोई मुझे समझाता क्यों नही।
मै रोना चाहता हूँ .........................कोई मुझे रुलाता क्यों नही।
फूल से किसे गिला हुआ,काँटों से किसे मोहब्बत
इक मैं पागल अपवाद हुआ,जो करे रोने की हसरत
बस इतनी सी ख्वाहिश मेरी,कोई पुराता क्यों नही।
मै रोना चाहता हूँ ........कोई मुझे रुलाता क्यों नही।
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ham dar ko sanson me pirote hai teri khushi ke liye.ham rote hai tanhayi me teri zindagi ke liye
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