Thursday, March 5, 2009

मन कहे तुमको जीवन समर्पित कर दूँ.
मन कहे धडकनों को तीव्र कंपित कर दूँ.
जेठ की दुपहरी में कोई प्यासा रहे
तो ये बाहरी बात हुई
सावन की बदरी में कोई प्यासा रहे
तो ये अंदरूनी बात हुई
दोनों में है प्यास मगर
उसमे पीकर गर्मी शांत हो जाती है.
जबकि इसमे पीकर गर्मी आक्रांत हो जाती है.
मन कहे तेरे अधरों को छूकर मन उद्वेलित कर दूँ.
मन कहे तुमको जीवन समर्पित कर दूँ.
मन कहे धडकनों को तीव्र कंपित कर दूँ.

चांदनी रात में आकाश बाहें फैलता है.
दुल्हन सी सजी धरती पे अपनी निगाहें टिकाता है.
भड़क जाए इन दोनों में प्रेम ज्वाला
मन कहे कंठो से ऐसी स्वर कम्पित कर दूँ.
मन कहे तुमको जीवन समर्पित कर दूँ.
मन कहे धडकनों को तीव्र कंपित कर दूँ.

जरा मैं भी देखूं जन्नत के नज़ारे
प्रेम रस में नहाते दिल की दिलकश इशारे
जहाँ सांसे बन जाती है आंधियां...
जहाँ बसंत की एहसास दिलाती है सिसकियाँ..
मन कहे इसे देख-देख कर अंग-अंग पुलकित कर दूँ.
मन कहे तुमको जीवन समर्पित कर दूँ.
मन कहे धडकनों को तीव्र कंपित कर दूँ.


तुमसे मिलने को कई बार तरसे है.
आँखे सावन की तरह कई बार बरसें है.
तोड़ा है अरमानो को ज़माने ने कई बार
मगर अटल रहा अपना पुराना प्यार
टूट चुका हूँ पहले भी
किंतु आज खुशी-खुशी टूट जाने दो
मन कहे तेरे प्यार में अंग-अंग खंडित कर दूँ.
मन कहे तुमको जीवन समर्पित कर दूँ .
मन कहे धडकनों को तीव्र कंपित कर दूँ.

आज के बाद फ़िर बिछड़े कभी
दोनों के नैनों से फ़िर मोती झडे कभी
इसलिए मन कहे फासले को शून्य अंकित कर दूँ.
मन कहे तुमको जीवन समर्पित कर दूँ.
मन कहे धडकनों को तीव्र कंपित कर दूँ.

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aapka bahut-bahut dhanybad