Sunday, March 29, 2009

बोतल बेचारा बदनाम है

हम दर्द को सांसों में पिरोते है तेरी हरेक खुशी के लिए. हम रोते है तन्हाई में तेरी बेहतर ज़िन्दगी के लिए.

हम दर्द को सांसों में पिरोते है तेरी हरेक खुशी के लिए. हम रोते है तन्हाई में तेरी बेहतर ज़िन्दगी के लिए.

हमने दो घूंट शराब पिए तो तुमने मुझे शराबी कह दिया मगर उनका क्या जनाबेआली जिनके होठ मधुशाला और आँखें छलकता जाम है. अरे यार नशा तो हुस्न में है बोतल बेचारा बदनाम है.

3 comments:

  1. नशा!
    नशा शराब में नहीं
    नशा बोतल में नहीं
    नशा तो मेरे मन में है
    यदि होती शराब में नशा
    तो नाचती वो बोतल
    यदि होती बोतल में नशा
    तो नाचती वो बोतल
    पर नशा तो मेरे उस मन में है
    जिसने खुद को पागल बनाया
    व बोतल व शराब से दोस्ती निभाया
    नशा शराब में नहीं
    नशा मेरे मन में है
    नशा मेरे मन में है.

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  2. बहुत ही अच्छा लिखा है!
    मुझे आपकी भेजी हुई फोटो बहुत पसन्द आया!

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aapka bahut-bahut dhanybad