यार,तेरी मोहब्बत का नही कोई जबाब.
गुलाब से भी प्यारी तेरी चाहत का गुलाब
बुलबुल सी थिरकन है तेरी गोरी-गोरी पाँव में
पीपल सी आनंद है तेरी घनी जुल्फों की छाँव में
देखके तेरी रूप-सौंदर्य को जग जाए लाखों ख्वाब.
गुलाब से भी प्यारी तेरी चाहत का गुलाब.
चंदन की दहक है तेरी लाली लाली होंठों पे
बिजली सी मलक है तेरी काली काली आंखों में
मन मस्त हो जाए छूके तेरे हुस्न शबाब.
गुलाब से भी प्यारी तेरी चाहत का गुलाब.
जिंदगी में हजारों दर्द है ,दवा नही kahin
कुछ अपने कुछ पराये मर्ज है ,दुआ नही कहीं
सौ रहते मिले एक गम के लिए.. समझे जनाब.
गुलाब से भी प्यारी तेरी चाहत का गुलाब.
तुम्हे झलक भर देंखना,पल भर सोचना
तेरी रूह में उतरना,तेरी वजूद में डूबना
चैनो-सुकून पहुचाये इतना जिसका नही कोई हिसाब.
गुलाब से भी प्यारी तेरी चाहत का गुलाब.
रचना की तिथि ---०७/०२/०९
सुबह ----करीब ८.30am
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aapka bahut-bahut dhanybad