Friday, February 13, 2009

जीवन ...... ए�� संगीत

जीवन ...... एक संगीत
सुख-दुःख के दो गीत

इसे जंग भी कहते हें
इससे तो सभी लरते है
बक्त को मालूम सिर्फ़
कितने जीते कितने मरते है
इसमे कभी हार कभी जीत.
जीवन .... एक संगीत.
सुख-दुःख के दो गीत ..

क्या खोना है क्या पाना है
किससे पूछे कौन क्या जाना है
सफर जीवन के बरे निराले
शुन्य से चलके शुन्य तक जाना है
सच यही ...मेरे मनमीत
जीवन .... एक संगीत
सुख-दुःख के दो गीत

तेरे अन्तरमन में कभी अंधी कभी तूफान होगा
कभी जीना सरल कभी मरना आसान होगा
उलझ जाएगा तू अपने ही मकरजाल में
रह न मिलेगा जब ,अंतरद्वंद घमासान होगा
ऐसे में बुझे नही अंतस के दीप....
जीवन .... एक संगीत
सुख-दुःख के दो गीत

किस आंख से क्या उम्मीद करोगे
सबमे हजारों सपने है
तुम,क्या और क्यों जिद करोगे
सबमे पराये सबमे अपने है
सपनो का बण्डल ,सपने तक सिमित रख
सपने से लोग भयभीत
जीवन .... एक संगीत
सुख-दुःख के दो गीत


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1 comment:

  1. जीवन .... एक संगीत
    सुख-दुःख के दो गीत

    बहुत अच्छी रचना.
    बधाई.

    महेश

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aapka bahut-bahut dhanybad