Friday, February 13, 2009

आजकल जि��दगी अपन��� वीरान ��गती है

आजकल जिंदगी अपनी वीरान लगती है
कदम जिधर भी बढाऊं राहें सुनसान लगती है
 
कल तक था हर कोई मेरा जाना-पहचाना
हम थे उसके हमराही वो था मेरा दीवाना
जाने कौन सी खता हुई
जाने कौन सी हवा चली
आज हर शख्स वही अनजान लगती है
आजकल जिंदगी अपनी वीरान लगती है

किसने हमें मारा की हम इतने कमजोर हुए
चोरों की दुनिया में हम भी चोर हुए
दिल-दिमाग का कभी ऐसा भी मेल था
मुश्किलों को भगा देना ,बाये हाथ का खेल था
छोटी सी मुश्किल..छोटी सी मुश्किल
हाय! छोटी सी मुश्किल अब तूफान लगती है
आजकल जिंदगी अपनी वीरान लगती है
 
उम्र भर मोहब्बत में हम-तुम खोये रहे
जीभर के लम्हों की आगोशी में सोये रहे
बफा किसने की,दगा किसने की
छोरो भी ये बातें दुआ किसने दी
पास न आया कभी मोहब्बत
रास न आया कभी मोहब्बत
हाय!इश्क में तन-मन-जान जलती है
आजकल जिंदगी अपनी वीरान लगती है


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aapka bahut-bahut dhanybad