Friday, April 24, 2020

दिनकर वह सूरज है, जो कभी अस्त नही होता है

राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर की आज पुण्य तिथि पर एक कोशिश उनको काव्य रचित श्रद्धांजलि देने की।

दिनकर वह सूरज है,जो कभी अस्त नही होता है।
लाख घना अँधेरा हो,वो कभी पस्त नही होता है।
संघर्ष करता हुआ हर आदमी के संग है वो,
उसकी ओजस्वी कविता,कभी ध्वस्त नही होता है।

सिमरिया बेगूसराय बिहार का लाल है वो।
नवयुग परिवर्तन का जलता मशाल है वो।
ऊर्जा साहस  देश प्रेम का मिशाल है वो।
रश्मिरथी रचने वाले हृदय विशाल है वो।
उनकी अक्षय काव्यरचनाओं में ढूंढो तो,
जोश जुनून उम्मीद का अभावग्रस्त नही होता है।
दिनकर वह सूरज है,जो कभी अस्त नही होता है।

संसद मंत्री को चुनौती देते हमने देखा है।
बंजर दिल पे डक़ैती करते हमने देखा है।
सन्नाटा को चीरते वो आवाज सुनाई देता है।
शब्द शब्द में मुस्काते तस्वीर दिखाई देता है।
ग़रीबी बेरोजगारी लाचारी के खिलाफ बुलंद स्वर,
राजनीतिक प्रभाव से वो अस्तव्यस्त नही होता है।
दिनकर वह सूरज है,जो कभी अस्त नही होता है।

कुरुक्षेत्र रश्मिरथी में योद्धाओं के मान बढ़ाते है।
महाभारत की मनोरम गाथा किश्तों में समझाते है।
कर्ण अर्जून भीम दुर्योधन याकि द्रौपदी दुश्शासन,
भीष्म कृष्ण और गुरुजनों के संग न्याय कर जाते है।
अलौकिक कथा भगवान की लीला के वर्णन में,
वीर अभिमन्यु शकुनी मामा भी त्रस्त नही होता है।
दिनकर वह सूरज है,जो कभी अस्त नही होता है।

रेणुका, हुंकार, उर्वशी कितने है रचना इनकी।
धूप और धुँआ, परशुराम की प्रतीक्षा इनकी।
समर शेष है,सिंघासन खाली करो,कृति इनकी।
"कलम आज उनकी जय बोल"स्मृति इनकी।
"जीना हो तो मरने से नही डरो रे"पढ़के बोलो,
सैकड़ों कवि है जगत में,तुम-सा मस्त नही होता है।
दिनकर वह सूरज है,जो कभी अस्त नही होता है।
©सुनील कुमार सोनू"दिव्य"
24/04/2020

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