Thursday, April 23, 2020

साधु रे अब तो तलवार उठाओ

साधु रे अब तो तलवार उठाओ।
परशुराम को ललकार जगाओ।
अपना अस्मत आप बचाओ,
प्रशासन से मत गुहार लगाओ।

कौन सुनेगा पंडितों की वाणी।
दबे कुचले पीड़ितों की कहानी।
जनता जनार्दन का कटा अँगूठा,
मूक बधिर सी इनकी जुबानी।
त्यज जनेऊ माला पोथी पत्रा,
शंख फूको रन हुंकार लगाओ।
साधु रे अब तो तलवार उठाओ।

शास्त्र की शिक्षा बेकार गयी,
अब शस्त्र की दीक्षा भेंट कर।
लँगोटी कसो,चुटिया कटाओ,
 लड़ने को एड़ी चोटी एक कर।
अनुलोम विलोम की भाषा बदलो,
सिंहासन मुद्रा में दहाड़ लगाओ।
साधु रे अब तो तलवार उठाओ।

विनय विनीत को कायर समझे,
ठेठ ठठेरा मुच्छर बलशाली है।
जोगी गेरुआ को शायर समझे,
कहाँ इनमे रक्तरंजित भुजाली है।
अग्नि को पियो,वर्षा को सोखो,
गली गली में हाहाकार मचाओ।
साधु रे अब तो तलवार उठाओ।

शांति कब मिली समझौतों से,
 क्यों बात करने इन भूतों से,
राम बलराम कर चुके सन्धि,
परिणाम क्या हुआ शांतिदूतों से,
योगी क्रांति की मिसाल जले,
भगवा पगड़ी  फुफकार लगाओ।
साधु रे अब तो तलवार उठाओ।

राष्ट्र चेतना के सुर संगम में,
जब ब्रह्मांड ओमकार से गूंजेगा।
जड़ चेतन खग खगोल विहंगम से,
तब अखण्ड नमोकार में गूंजेगा।
हर हर महादेव,जय जय भवानी,
एक स्वर में जयकार लगाओ।
साधु रे अब तो तलवार उठाओ।
©सुनील कुमार सोनू
23।04।2020



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