Tuesday, March 17, 2020

बीस बरस बीत गये रे साथी

बीस बरस बीत गए रे साथी,
तूने खोज खबर नही ली।
 रंजिष क्यूँ निभाये रे साथी,
तूने खोज खबर नही ली।

दोनों एक दौड़ से गुजरे थे
शामिल जिसमे हरशु हरशु।
प्रेम प्रणय का उत्कृष्ट उदाहरण
ज़र्रे ज़र्रे  में भीनी ख़ुश्बू ख़ुश्बू।
राज दिल के ना बताये रे साथी,
तूने खोज ख़बर नही ली।

एहसास की कमाई दौलत,
बोलो कहाँ लुटाते हो।
क्या मुझसा ख़रीददार मिला,
या अफ़सोस जताते हो।
ऐसे कैसे कोई भूल जाए रे साथी,
तूने खोज ख़बर नही ली।

छत पे सुहानी धूप भी है
जामुन का वो पेड़ भी है।
खिड़कियों से ताकना एक दूजे को,
अभी वो बसेर भी है।
अब तू ना दिख पाए रे साथी,
तूने खोज ख़बर नही ली।

कितने उतार चढ़ाव देखे,
कितने मन मुटाव झेले।
लाखों की भीड़ में,
रहे हम अकेले-अकेले।
साथ न तूने निभाया रे साथी,
तूने खोज खबर नही ली।

यादों के मंज़र फरे
मन वृक्ष की डाली पे।
रातों के मंतर जपे
सूनापन की स्याह काली में।
और कहा ना जाए रे साथी,
तूने खोज ख़बर नही ली।

सूखे सूखे होली के दिन बीते
रूखे रूखे बीते दशहरा दीवाली।
बसंती मौसम  भी ऐसे बीते,
 जैसे बेसुध बेनूर पतझड़ मवाली।
भूतकाल बहुत सताये रे साथी,
तूने ख़ोज ख़बर नही ली।

ऐसा नही की जिंदगी तंग है।
ऐसा नही की हँसी बेरंग है।
ऐसा नही की धन दौलत ऐश्वर्य नही,
ऐसा नही की जीवन मे माधुर्य नही,
तुम बिन सब  निरुपाय रे साथी,
तूने खोज खबर नही ली।

बीस बरस बीत गए रे साथी,
तूने खोज खबर नही ली।
 रंजिष क्यूँ निभाये रे साथी,
तूने खोज खबर नही ली।
:सुनील कुमार सोनू
:17।03।2020
:बस में ऑफिस जाते वक्त
:समय-7:45-8:20AM

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aapka bahut-bahut dhanybad