Sunday, March 15, 2020

। इन्चों की फासलें हैं, मिलों सी दूरी है।

ये कैसी बेबसी है, ये कैसी मजबूरी है।
इन्चों की फासलें हैं, मिलों सी दूरी है।

शर्त क्यूँ है इतने इश्क़ में कहकहों की,
जबकि मोहब्बत अपनी शोख़ सिंदूरी है।

दो कदम साथ तू चल दे  संग संग,
भरम रिवाजों के टूटने भी जरूरी है।


नाज़ हो इश्क़ पे तो एलान कर अभी,
मैं तेरा कान्हा, तू मेरी राधिका छोरी है।

जिंदगी किसे मौका देता दुबारा तिबारा,
तेरी मेरी तो लाखों  मे एक जोड़ी है।

जमीन की मोहताज न रहा कर ,ए हुस्न
अंतरिक्ष को भी मात दे,तू वो चाँद चकोरी है।

:सुनील कुमार सोनू
:15/03/2020:दोपहर-13:00-13:50

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aapka bahut-bahut dhanybad