Sunday, March 8, 2020

।वक्त के लाठी में, यार शोर न होवे से।


वक्त के लाठी में, यार  शोर न होवे से।
जिसको पड़े वो खून के आँसू रोवे से।
अंधेरो ही अंधेरो लगे दिन दुपहरी भी,
मालिक एसो करो कि भोर न होवे से।

खौफ़ रख ख़ुदा का बंदे,
यू उल्टे-सीधे काम न कर।
कागज़ के टुकड़े कमाने में,
मानवता को बदनाम न कर।

इसी जन्म में सुन रे पगले
पाप पुण्य की गठरी धोवे से।

वक्त के लाठी में, यार  शोर न होवे से।
जिसको पड़े वो खून के आँसू रोवे से।
अंधेरो ही अंधेरो लगे दिन दुपहरी भी,
मालिक एसो करो कि भोर न होवे से।

जर जोरू जमीन के लफड़े से दूर रह।
बेफिजूल तरक-भरक कपड़े से दूर रह।
सरल सादगी जीवन जीकर पगले,
अपने सुकर्म से यश कृति  मशहूर कर।

बाजी पलटते  देर नही लगते,
वक़्त पे किसी का जोर न होवे से।

वक्त के लाठी में, यार  शोर न होवे से।
जिसको पड़े वो खून के आँसू रोवे से।
अंधेरो ही अंधेरो लगे दिन दुपहरी भी,
मालिक एसो करो कि भोर न होवे से।

:सुनील कुमार सोनू
:28।02।2020
:समय:7:30-8:05am,
बस में ऑफिस जाते समय।

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