Sunday, March 8, 2020

हर हर महादेव

हर हर महादेव

मैं ही शून्य,मैं ही बिशाल ब्रह्मांड हूँ।
मैं ही औघड़,मैं ही विद्वान प्रकाण्ड हूँ।
मै ही चंद्र, मैं ही आकाशगंगा हूँ।
मैं ही धरती,मैं ही यमुना गंगा हूँ।
मैं  ही आदि,मैं ही अंत हूँ।
मैं ही सूक्ष्म, मैं ही अनंत हूँ।
मैं ही कैलाश,मैं ही हिमालय हूँ।
मैं ही देवेश, मैं ही देवालय हूँ।
मैं ही चल,मैं ही अचल हूँ।
मैं ही छल,मैं ही निश्छल हूँ।
मैं ही दृष्टि, मैं ही सृष्टि हूँ।
मैं ही अकाल,मैं ही वृष्टि हूँ।
मैं ही धूप ,मैं ही छांव हूँ।
मैं ही रूप,मैं ही उपनाम हूँ।
मैं ही नरोत्तम, मैं ही पुरुषोत्तम हूँ।
मैं ही उत्तम,मैं ही अतिउत्तम हूँ।
मैं ही सांस,मैं ही विस्वास हूँ।
मैं ही तो,जीने का उल्लास हूँ।
मैं ही रक्षक, मैं ही भक्षक हूँ।
मैं ही दक्ष, मैं ही दक्षक हूँ।
मैं ही नर,मैं ही नारी हूँ ।
मैं ही सुकुमार,मैं ही सुकुमारी हूँ।
मैं ही जननी, मैं ही जनक हूँ।
मैं ही धनकुबेर,मैं ही धनक हूँ।
मैं ही अन्न,मैं ही अन्नपुर्णा हूँ।
मैं ही स्वप्न, मैं ही सुवर्णा हूँ।
मैं ही नभमंडल,मैं ही पाताल हूँ।
मैं ही माया,मैं ही मायाजाल हूँ।
मैं ही अग्नि,मैं ही वर्षा हूँ।
मैं ही हर्षित, मैं ही हर्षा हूँ।
मैं ही गिरी,मैं ही गिरीश हूँ।
मैं ही ईश, मैं ही श्रीश हूँ।
मैं ही मैं,मैं भी मैं हूँ।
एक ही मैं,मैं तो मैं हूँ।
हर हर महादेव
:सुनील कुमार सोनू
:26/02/202
समय :07:25-8.05AM
स्थान:बस में ऑफिस जाते हुए।

No comments:

Post a Comment

aapka bahut-bahut dhanybad