#माँ_तो_माँ_होती_है।
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माँ तो माँ होती है।
तेरे जैसा कोई कहाँ होती है।
विष्णु भी तेरे कोख से जन्मे,
देवकी यशोदा जहाँ होती है।
सृष्टि का लालन पालन करने वाले,
तेरे गोद मे पलने को तरसे।
चाँद सुरुज की महिमा गाने वाले,
तेरी लोड़ी सुनने को तरसे।
वात्सल्य प्रेम के मोह न छूटे,
कौशल्या कैकयी जहाँ होती है।
नेह स्नेह की परिभाषा तुमसे,
सारी जगत की आशा तुमसे,
तुम हो तो ये सकल संसार है।
तेरे बिना कल्पना भी बेकार है।
तेरे आँचल का दूध पीये बिना,
कहाँ कोई संतति जवां होती है।।
मृत्यु भी फुट फुट के रोता है,
माँ को जब काल हर लेता है।
याद करके वो अपना बचपन,
माँ की श्रीचरण धर लेता है।
माँ ही जाने माँ के मर्म,
थाह किसे ये गहरी कुआँ होती है।
©सुनील कुमार सोनू"दिव्य"
#लखीसराय, #बिहार
10/05/2020
#सुनील_कुमार_सोनू
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माँ तो माँ होती है।
तेरे जैसा कोई कहाँ होती है।
विष्णु भी तेरे कोख से जन्मे,
देवकी यशोदा जहाँ होती है।
सृष्टि का लालन पालन करने वाले,
तेरे गोद मे पलने को तरसे।
चाँद सुरुज की महिमा गाने वाले,
तेरी लोड़ी सुनने को तरसे।
वात्सल्य प्रेम के मोह न छूटे,
कौशल्या कैकयी जहाँ होती है।
नेह स्नेह की परिभाषा तुमसे,
सारी जगत की आशा तुमसे,
तुम हो तो ये सकल संसार है।
तेरे बिना कल्पना भी बेकार है।
तेरे आँचल का दूध पीये बिना,
कहाँ कोई संतति जवां होती है।।
मृत्यु भी फुट फुट के रोता है,
माँ को जब काल हर लेता है।
याद करके वो अपना बचपन,
माँ की श्रीचरण धर लेता है।
माँ ही जाने माँ के मर्म,
थाह किसे ये गहरी कुआँ होती है।
©सुनील कुमार सोनू"दिव्य"
#लखीसराय, #बिहार
10/05/2020
#सुनील_कुमार_सोनू
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aapka bahut-bahut dhanybad