Friday, January 23, 2009

दिन महीने साल गुजर गये

दिन महीने साल गुजर गए
बचपन के ढेरों सवाल गुजर गए
कल तक जो यक्ष प्रश्न था जीवन में
प्रश्न वही फ़िलहाल गुजर गए
रास न आये अब दशहरा दिवाली
खुशी के रंग गुलाल गुजर गए
खुशबुओं को खोजूं कहाँ बिराने दिल में
फूलों से सजी डाल गुजर गए
रोक लूँ उन्हें कैसे जाने से
दिल के सारे मलाल गुजर गए
आखिरी पड़ाव में भला कोई क्या करे
जिंदगी के अच्छे-बुरे काल गुजर गये

2 comments:

  1. pahli bat to yah sonu ji aapne mere blog par tippadi ki. main is ke lie aapk abhut bahut abhari hun. duri bat apki kavita mujhe kafi achhi lagi. agr aapke pas mere blog layak koi kahani to to zaroor bhejen.

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  2. kafi acchi gazal hai. khastaur par starting bahut achhi hai.

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aapka bahut-bahut dhanybad