Wednesday, January 21, 2009

मुझे शराबी कहके न करो बदनाम यारों........

मुझे शराबी कहके.......................... करो बदनाम यारों
ख़ुद पीने की कोशिश की,थमाया गया हाथों में जाम यारों

कुछ दर्द थे दिल में,कुछ मजबूरियां थी राहों में
कुछ रूकावट थे मंजिल में,कुछ दूरियां थी निगाहों में
ये सब के होते पाया पल भर आराम यारों
ख़ुद पीने की कोशिश की,थमाया गया हाथों में जाम यारों

नाम किस-किस का लूँ जिसने मुझे पिलाया
थे कुछ अपने ही आदमी,कुछ थे आदमी पराया
कोई बताये सहर किधर है,मुझे हर तरफ़ सूझे शाम यारों
ख़ुद पीने की कोशिश की,थमाया गया हाथों में जाम यारों

उसको मई नित्य दिन पूजा करूँगा
जो मेरे हाथों से बोतल तुड़वा दे
खुदा से भी बढ़के मानूंगा उसको
जो इन बुरी आदतों से मुक्ति दिला दे
बर्बाद हो गया शहर में आके,याद रहा मुझे अपना गाँव यारों
ख़ुद पीने की कोशिश की,थमाया गया हाथों में जाम यारों

मुझे शराबी कहके.......................... करो बदनाम यारों
ख़ुद पीने की कोशिश की,थमाया गया हाथों में जाम यारों

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aapka bahut-bahut dhanybad