Tuesday, January 20, 2009

क्या खूब नसीब है अपना भी

क्या खूब नसीब है अपना भी
सपना के जैसे लगे सपना भी

पत्थर समझ के ठोकर मार दिया
साथी पराया भी अपना भी

आरजू जल गयी चिता बनके
राख में मिला जीवन अपना भी

रास नही आता सौन्दर्य- माधुर्य में
नीरस लगे प्यारी घटना भी

इश्क में कभी एक तरफा नुकसान नही होता
प्रेम कोष घटा उसका भी अपना भी

No comments:

Post a Comment

aapka bahut-bahut dhanybad