क्या खूब नसीब है अपना भी
सपना के जैसे लगे सपना भी
पत्थर समझ के ठोकर मार दिया
साथी पराया भी अपना भी
आरजू जल गयी चिता बनके
राख में मिला जीवन अपना भी
रास नही आता सौन्दर्य- माधुर्य में
नीरस लगे प्यारी घटना भी
इश्क में कभी एक तरफा नुकसान नही होता
प्रेम कोष घटा उसका भी अपना भी
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aapka bahut-bahut dhanybad