Friday, September 6, 2019

काल घड़ी जब आई रे भाई।

सोना सरीखी देहिया माटी में मिल जाई रे भाई;
काल घड़ी जब आयी।
काल घड़ी जब आयी रे भाई
काल घड़ी जब आयी।
माटी के चीज माटी में मिल जाई रे भाई,
काल घड़ी जब आयी।

राजा रंक फ़कीरा रोवे
नानक तुलसी कबीरा रोवे
ठगनी माया के हाथ संसार ठगाई रे भाई,
काल घड़ी जब आयी।

जार जोरू जमीन में उलझी
धरम करम के बात न सुलझी
एक और जिन्गी व्यर्थ गवाई रे भाई,
काल घड़ी जब आयी।

नाही केहू गुरु नाही केहू चेला रे साधु,
भीड़ भरल दुनिया मे हंस उड़े अकेला रे साधु,
अंखिया के कोरवा में गंगा बही जाई रे भाई;
काल घड़ी जब आयी।

रोई रोई भजनिया लिखे
हंसी हंसी गावे हो रामा,
सोनू औऱ गोलुआ के
बतिया न समझ पावे हो रामा,
विधि के विधान मिटे न मिटाई रे भाई;
काल घड़ी जब आयी।

सोना सरीखी देहिया माटी में मिल जाई रे भाई;
काल घड़ी जब आयी।
काल घड़ी जब आयी रे भाई
काल घड़ी जब आयी।
लेखनी:सुनील कुमार सोनू
तिथी:05.09.2019

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