देहाती झूमर/कजरी/लोकगीत/
सावन के महिनवा रे सखिया।
मनवा मारे रे हिलोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।1//
रिमझिम बरसे पनिया रे सखिया।
पियवा खोजे चितचोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।2//
फरफर उड़े ओढ़निया रे सखिया।
जियरा धड़के जोरजोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।3//
बाबा के पोखरिया रे सखिया।
नहावे गइले भोरेभोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।4//
सरसों फुलल देहिया रे सखिया
महकल चारो ओर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।5//
एहि बरस लगनिया रे सखिया
हरदी लगो पोर पोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।6//
©सुनील कुमार सोनू
25/04/2020
सावन के महिनवा रे सखिया।
मनवा मारे रे हिलोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।1//
रिमझिम बरसे पनिया रे सखिया।
पियवा खोजे चितचोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।2//
फरफर उड़े ओढ़निया रे सखिया।
जियरा धड़के जोरजोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।3//
बाबा के पोखरिया रे सखिया।
नहावे गइले भोरेभोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।4//
सरसों फुलल देहिया रे सखिया
महकल चारो ओर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।5//
एहि बरस लगनिया रे सखिया
हरदी लगो पोर पोर।
पीहू पीहू बोले रे पपीहरा ,
थिरके मनवा के मोर।6//
©सुनील कुमार सोनू
25/04/2020
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aapka bahut-bahut dhanybad