सात सुरों का सरगम से।
बने जो मधुर संगीत ।
वोही हो तुम,,,
मेरे मन के मीत।
वोही हो तुम ,,,
मेरे मन के मीत।
बदलते मौसम की सुंदरता तुझमे।
गुजरते आलम की चंचलता तुझमे।
जो ऋतुओं के बदल दे रीत,
वोही हो तुम मेरे मन के मीत।
इस भँवरे की गुंजन तुझसे।
इस सांवरे की मधुवन तुझसे।
जिसे प्रेम करूँ मैं आशातीत।
वोही हो तुम मेरे मन के मीत।
तेरे संग कटे ऐसे ही सफर।
हो दिन दोपहर या शामो सहर।
जिसके सहारे पल पल जाए बीत।
वोही ही तुम ,मेरे मन के मीत।
सात सुरों का सरगम से।
बने जो मधुर संगीत ।
वोही हो तुम,,,
मेरे मन के मीत।
रचनाकार:सुनील कुमार सोनू
तिथि:02.10.2019
बने जो मधुर संगीत ।
वोही हो तुम,,,
मेरे मन के मीत।
वोही हो तुम ,,,
मेरे मन के मीत।
बदलते मौसम की सुंदरता तुझमे।
गुजरते आलम की चंचलता तुझमे।
जो ऋतुओं के बदल दे रीत,
वोही हो तुम मेरे मन के मीत।
इस भँवरे की गुंजन तुझसे।
इस सांवरे की मधुवन तुझसे।
जिसे प्रेम करूँ मैं आशातीत।
वोही हो तुम मेरे मन के मीत।
तेरे संग कटे ऐसे ही सफर।
हो दिन दोपहर या शामो सहर।
जिसके सहारे पल पल जाए बीत।
वोही ही तुम ,मेरे मन के मीत।
सात सुरों का सरगम से।
बने जो मधुर संगीत ।
वोही हो तुम,,,
मेरे मन के मीत।
रचनाकार:सुनील कुमार सोनू
तिथि:02.10.2019
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aapka bahut-bahut dhanybad