आतंकी सिरफिरे का सिर काटना अब जरूरी है।
इसके बंद मुठ्ठी को अंगुलियों में बाँटना अब जरूरी है।।
ना हम मौनधारी है,
ना हम मूकदर्शक है।
ना हाँथो में हथकड़ी है,
ना पैरों में बेड़ी है।
आजाद भारत की आजादी बताना अब जरूरी है।
एक के बदले दस हमले करवाना अब जरूरी है।।
पाँव घुसे तो पाँव काट लेना ही उचित है।
आँखे तरेरे तो आँख निकाल लेना ही उचित है।
न्याय मिलता नही खाली कोरी समझौतों से।
कीमत चुकाने पड़ते हैं बम बारूद तोंपो से।
शांति की लहरें बहती नही तब तक।
क्रांति की मिसालें जलती नही जब तक।
चौकन्ना होके खिड़की दरवाजे दीवारों से झांकना अब जरूरी है।
कितने परमाणु बनाये पड़ोसी ने आँकना अब जरूरी है। ।
जय हिन्द ही मेरा धर्म है ,
वंदे मातरम ही मेरा कर्म है,
जन गण मन ही नारा है।
जो इसको नकारे,
वो मेरा दुश्मन,राष्ट्र का दुश्मन,
हमने उसको ललकारा है।
राष्ट्र विरोधी बात न करना,
चाहे नेता हो या अभिनेता हो।
गिन गिन के,चुन चुन के मारेंगे,
चाहे मुफ़लिसी हो या विजेता हो।
शंखनाद की भीष्ण हुंकार सुनाना अब जरूरी है।
दुनिया को अपना ताकत दिखाना अब जरूरी है।।
तरकश में तीर बहुत है।
अंतस में पीड़ बहुत है।
दाल रोटी की लालच नही,
अपने घर मे खीर बहुत है।
परिचय देने को मोहताज नही भारत,
अपने हिस्से में कश्मीर बहुत है।
गुनाह किये तो सजा भी मिलेगी जालिमों,
अपने जेलों में जंजीर बहुत है।
वतन पे मर-मिटने वालों की कमी नही,
अपने दिल मे शहिदों की तस्वीर बहुत है।
बहुत है बहुतेरों जैसी इसे गुनगुनाना अब जरूरी है।
खंडित भारत को अखंड भारत बनाना अब जरूरी है।।
।जय हिंद जय भारत ।
लेखन तिथि:27.08.19
इसके बंद मुठ्ठी को अंगुलियों में बाँटना अब जरूरी है।।
ना हम मौनधारी है,
ना हम मूकदर्शक है।
ना हाँथो में हथकड़ी है,
ना पैरों में बेड़ी है।
आजाद भारत की आजादी बताना अब जरूरी है।
एक के बदले दस हमले करवाना अब जरूरी है।।
पाँव घुसे तो पाँव काट लेना ही उचित है।
आँखे तरेरे तो आँख निकाल लेना ही उचित है।
न्याय मिलता नही खाली कोरी समझौतों से।
कीमत चुकाने पड़ते हैं बम बारूद तोंपो से।
शांति की लहरें बहती नही तब तक।
क्रांति की मिसालें जलती नही जब तक।
चौकन्ना होके खिड़की दरवाजे दीवारों से झांकना अब जरूरी है।
कितने परमाणु बनाये पड़ोसी ने आँकना अब जरूरी है। ।
जय हिन्द ही मेरा धर्म है ,
वंदे मातरम ही मेरा कर्म है,
जन गण मन ही नारा है।
जो इसको नकारे,
वो मेरा दुश्मन,राष्ट्र का दुश्मन,
हमने उसको ललकारा है।
राष्ट्र विरोधी बात न करना,
चाहे नेता हो या अभिनेता हो।
गिन गिन के,चुन चुन के मारेंगे,
चाहे मुफ़लिसी हो या विजेता हो।
शंखनाद की भीष्ण हुंकार सुनाना अब जरूरी है।
दुनिया को अपना ताकत दिखाना अब जरूरी है।।
तरकश में तीर बहुत है।
अंतस में पीड़ बहुत है।
दाल रोटी की लालच नही,
अपने घर मे खीर बहुत है।
परिचय देने को मोहताज नही भारत,
अपने हिस्से में कश्मीर बहुत है।
गुनाह किये तो सजा भी मिलेगी जालिमों,
अपने जेलों में जंजीर बहुत है।
वतन पे मर-मिटने वालों की कमी नही,
अपने दिल मे शहिदों की तस्वीर बहुत है।
बहुत है बहुतेरों जैसी इसे गुनगुनाना अब जरूरी है।
खंडित भारत को अखंड भारत बनाना अब जरूरी है।।
।जय हिंद जय भारत ।
लेखन तिथि:27.08.19
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aapka bahut-bahut dhanybad